अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में ‘जेनरल ड्यूटी असिस्टेंट’ की ट्रेनिंग पूरा करने के बाद 13 लड़कियों को मिला रोजगार

गोड्डा। “ सिर्फ पंख से कुछ नहीं होता, ‘उड़ान’ हौसलों से होती है” मशहूर है ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। हौसलों के उड़ान की कुछ ऐसी ही कहानी है उन 13 लड़कियों की, जो अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में ट्रेनिंग पूरा करने के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक सिटी बेंगलुरू में नौकरी का सपना पूरा करने जा रहीं हैं। कहते हैं चहां चाह वहां राह, गरीबी और गुर्बत ने इनके सपनों के आगे रोड़े तो खूब अटकाए लेकिन आगे बढ़ने के इनके इरादों का बाल भी बांका नहीं कर सके। अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में ‘जेनरल ड्यूटी असिस्टेंट’ की ट्रेनिंग पूरा करने के सिर्फ एक महीने बाद ही 30 में से 13 लड़कियों ने महिंद्रा एंड महिन्द्रा की अनुषांगी कंपनी ‘नाइटेंगिल विसाइड केयरगिवर’ में नौकरी हासिल कर ली है। अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में ट्रेनिंग के दौरान थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के उद्देश्य से इन लड़कियों को जिले के सदर अस्पताल में एक महीने का इंटर्नशिप भी कराया गया था जिसमें जिला प्रशासन का सराहनीय योगदान रहा। ट्रेनिंग के बाद रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से बनाए गए अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर के प्लेसमेंट सेल ने इनके इंटरव्यू की व्यवस्था की थी। इंटरव्यू वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए हुआ जिसमें कई दौर तक चले इंटरव्यू के बाद कुल तेरह लड़कियों को चयनित कर लिया गया। ये लड़कियां बेलडिहा, भारतीकित्ता, कौड़ी-बहियार, बिरनिया, बसंतपुर आदि गांवों की रहने वाली हैं। बिरनियां गांव की रहने वाली मनीषा कुमारी बताती हैं कि वो साल 2018 का सितंबर का महीना था, जब उसे पता चला कि अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में अलग-अलग कोर्स के लिए दाखिला चल रहा है। अपनी चाहत के मुताबिक मनीषा ने जेनरल ड्यूटी असिसटेंट का कोर्स का चयन किया। मनीषा के पिता निर्मल पासवान कहते हैं, उन्हें ये तो मालूम था कि उनकी बेटी अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में जो कोर्स कर रही है उससे उसका भविष्य उज्जव होगा, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा बिल्कुल नहीं था कि इतनी जल्दी उनकी बेटी अरमानों के पंख लगा कर घर से इतनी दूर बेंगलुरू जाकर नौकरी करेगी। कौड़ी बहियार गांव की सोनी कुमारी कहती है वो आज तक गोड्डा से बाहर कहीं नहीं गई है लेकिन अब जबकि उसकी नौकरी बेंगलुरू जैसे महानगर में लगी है तो वहां जाना इसके लिए किसी सपने के सच होने जैसा ही है। सोनी कुमारी के पिता मुकेश कुमार सोरेन तो अभी भी यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि वाकई उनकी बेटी घर से इतनी दूर नौकरी करने जा रही है। मुकेश खुद भी कभी बेंगलुरू नहीं गए हैं लेकिन अब उनको खुशी है कि बेटी की सपनो के पंखों के सहारे महानगर जाने का उनका अरमान भी पूरा होगा। अदाणी स्किल डेवलेपमेंट सेंटर के अधिकारी बताते हैं कि महिंद्रा एंड महिन्द्रा की अनुषांगी कंपनी ‘नाइटेंगिल विसाइड केयरगिवर’ से हुए करार के मुताबिक कंपनी चयनित लड़कियों को शुरूआत में बारह हजार प्रतिमाह की सैलरी मिलेगी जिसमें पीएफ तथा अन्य ईएसआई जैसे कई जरूरी सुविधाएं भी शामिल है। अधिकारी बताते हैं कि, कंपनी द्वारा भेजे गए नियुक्ति पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि शुरूआत में 15 दिन इन लड़कियों को कंपनी की तरफ से ट्रेनिंग दी जाएगी तथा इन सभी लड़कियों को रहने और खाने की सुविधा भी कंपनी द्वारा ही उपलब्ध कराया जाएगा।

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