Business : देश के बैंकों और बीमा कंपनियों के पास करीब 49,000 करोड़ रुपए बिना दावे के पड़े हैं। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने मंगलवार को राज्यसभा में इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अनक्लेम्ड मनी का यह आंकड़ा 31 दिसंबर, 2020 तक का है।
बैंक अकाउंटो में जमा हैं 24,356 करोड़ रुपए
एक सवाल के लिखित जवाब में भागवत कराड ने बताया कि RBI की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार बैंकों के 8.1 करोड़ अकाउंट्स में बिना दावे के 24,356 करोड़ रुपए की रकम पड़ी है। यानी हर खाते में औसतन 3,000 रुपए पड़े हैं, जिसका क्लेम नहीं किया गया है।
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बैंकों में लावारिस पड़े हैं 24,352 करोड़ रुपए
सरकार ने बताया कि नेशनलाइज्ड बैकों में 5.5 करोड़ अकाउंट्स में 16,597 करोड़ रुपए पड़े हैं। इनमें औसतन 3,030 रुपए बेकार पड़े हैं। वहीं, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI में औसतन 2,710 रुपए लावारिस पड़े हैं। SBI में 1.3 करोड़ अकाउंट्स में कुल 3,578 करोड़ रुपए बेकार पड़े हैं और प्राइवेट बैंकों के 90 लाख अकाउंट्स में औसतन 3,340 रुपए पड़े हैं।
बीमा कंपनियों पर 24,586 करोड़ रुपए की अनक्लेम्ड मनी
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के अनुसार सरकारी और प्राइवेट बीमा कंपनियों के पास 24,586 करोड़ रुपए की अनक्लेम्ड मनी पड़ी है। बता दें कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लोग दो-चार प्रीमियम भरने के बाद अपनी पॉलिसी ऐसे ही छोड़ देते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग इसलिए क्लेम नहीं कर पाते क्योंकि उनसे इंश्योरेंस के कागज खो गए होते हैं। बीमा कंपनियों के खाते में भी करोड़ों रुपए ऐसे ही पड़े हैं जिसे कोई क्लेम करने वाला नहीं है।
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इस रकम का क्या होगा?
नियमों के मुताबिक बैंकों के पास बिना दावे के पड़े पैसे डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीफ) स्कीम के खाते में डाल दिए जाते हैं। केंद्रीय बैंक ने यह स्कीम 2014 में लॉन्च की थी। इस पैसे का इस्तेमाल जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने में किया जाता है। इसी तरह बीमा कंपनियों के पास 10 साल से ज्यादा समय से पड़ी अनक्लेम्ड मनी सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में ट्रांसफर कर दी जाती है।
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