सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई 28 मार्च के लिए स्थगित कर दी है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि यह प्रकरण संविधान के मूल ढांचे से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस मामले पर संविधान बेंच को सुनवाई करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर बड़ी बेंच को रेफर करने की जरूरत होगी तो हम भेजेंगे।
पिछले आठ फरवरी को कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने फिलहाल इसको लेकर बनाए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 50 फीसदी की अधिकतम आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होता है। याचिका में कहा गया है कि संविधान का 103वां संशोधन संविधान की मूल भावना का उल्लघंन करता है। आर्थिक मापदंड को आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता है। संविधान के 103वें संशोधन को निरस्त किया जाना चाहिए। संविधान संशोधन में आर्थिक रूप से आरक्षण का आधार केवल सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है और ऐसा कर उस आरक्षण से एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के समुदाय के लोगों को बाहर रखा गया है। साथ ही आठ लाख के क्रीमी लेयर की सीमा रखकर संविधान के अनुच्छेद 14 के बराबरी के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि इंदिरा साहनी के फैसले के मुताबिक आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं की जा सकती है। वर्तमान में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान के बाद यह सीमा बढ़कर 59.5 फीसदी हो गयी है। इसमें सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी, एससी 15 फीसदी, एसटी 7.5 फीसदी और ओबीसी 27 फीसदी आरक्षण कोटा शामिल है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सात जनवरी को सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दी थी। इससे जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर इसे कानून का रूप दिया गया।उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, असम, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र सहित कई राज्य 10 फीसदी आरक्षण की इस नई व्यवस्था को लागू भी कर चुके हैं।

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