लोहरदगा लोकसभा सीट : इस बार की जीत होगी ऐतिहासिक : सुदर्शन भगत

गुमला। लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत की छवि आम लोगों के बीच आज भी एक सहज, मृदभाषी व विनम्र नेता के रूप में है। पूर्व में ग्रामीण विकास मंत्रालय,सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय,कृषि और किसान मंत्रालय तथा वर्तमान में जनजातीय मामले मंत्रालय में केंद्रीय राज्यमंत्री का दायित्व संभालने के बावजूद वे वीआईपी कल्चर से सर्वथा मुक्त हैं। आम जनता में तुरंत घुलमिल जाना और किसी के सुख-दुख में शामिल होना उनकी खासियत है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एक साक्षात्कार दिया। प्रस्तुत है साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश –
सवाल- क्या आप अपने दस साल के कार्यकाल में संतुष्ट हैं ?
जवाब- कोई भी व्यक्ति अपने कार्यों व उपलब्धियों से सौ फीसदी संतुष्ट नहीं हो सकता। पिछले दस साल में इस संसदीय क्षेत्र में विकास के कई उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। सड़क,पुल-पुलियों का जाल बिछा है। केंद्र व राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से एक बहुत बड़ी आबादी लाभान्वित हुई है। गरीबों के घरों में बिजली पहुंची है। आयुष्मान योजना के तहत अब गरीब भी पांच लाख तक ईलाज नि: शुल्क करा सकते हैं। किसानों को डबल इंजन सरकार होने से दोहरा लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सभी को पक्के आवास मिल रहें हैं। स्थानीय स्तर पर लोहरदगा से टोरी तक रेल का विस्तार हुआ है। और भी कई उपलब्धियां हैं। बाई पास सड़क निर्माण का कार्य जारी है। आने वाले दिनों में निर्माण कार्य जल्द पुरा हो जाएगा।
सवाल- गुमला को रेलवे लाईन से जोड़ने की वर्षो पुरानी मांग पर क्या कहेंगे?
जवाब- यह सच है कि गुमला को रेलवे लाईन से जोड़ने की मांग गुमलावासी वर्षों से कर रहें हैं। इसके लिए मैंने ईमानदारी से प्रयास किया है। इस दिशा में बात आगे बढ़ी है। जनता का आशीर्वाद मिला तो इस मांग को पूरा कराने के लिए फिर से प्रयास किया जाएगा। मेरे प्रयास से लोहरदगा को रेलवे स्टेशन को आदर्श रेलवे स्टेशन की सूची में शामिल कराया गया । गुमला में रेलवे टिकट आरक्षण केंद्र को पूर्णत: कम्प्यूटरीकृत किया गया। लोहरदगा से टोरी तक रेलवे लाईन का विस्तार किया गया। साथ ही हेन्दलासो भोक्ता बगीचा पर पैसेंजर हाट का निर्माण कराया गया। इसके अलावा गुमला में डाक विभाग के सहयोग से पासपोर्ट सेवा केंद्र खोला गया है। यहां के लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए रांची जाना पड़ता था।
सवाल- क्या आपने व्यक्तिगत तौर पर भी किसी को लाभान्वित करने का प्रयास किया ?
जवाब- व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं। पर मेरे संसदीय क्षेत्र के ऐसे लोग जो असाध्य रोग से पीड़ित थे,उनके ईलाज के लिए प्रयास किया गया । मेरे प्रयास से असाध्य बीमारियों से पीड़ितों के उपचार के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 98 लाख 27 हजार 7 सौ 32 रू.की सहायता राशि उपलब्ध कराई गई।
सवाल – इस बार का चुनावी मुद्दा क्या है ?
जवाब- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास कार्यों का जो कीर्तिमान स्थापित हुआ है। इसलिए विकास तो मुद्दा है ही। मगर राष्ट्रीय सुरक्षा भी इस चुनाव का अहम मुद्दा बन गया है। देश की जनता चाहती है कि मा.मोदी जी के नेतृत्व में देश में एक मजबुत सरकार बने। पिछली युपीए सरकार द्वारा किस तरह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया,उससे सब वाकिफ हैं।
सवाल- आपके प्रतिद्वंदी कह रहे हैं कि चुनाव गोडसे बनाम गांधी की विचारधारा के बीच है?
जवाब- उन्हें पहले कांग्रेस का ही चुनावी घोषणा पत्र पढ़ लेना चाहिए। इससे उन्हें यह समझ में आ जाएगा कि लड़ाई किसके बीच है। उस घोषणा पत्र में भारतीय दंड विधान की धारा 124 जो राजद्रोह से संबंधित है, हटाने की बात कही गई है। इस कानून को हटा कर कांग्रेस क्या राजद्रोहियों को खूली छूट देना चाहती है। कांग्रेस ऑस्पा ( आर्म्स फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1992) को भी हटाना चाहती है। ताकि देश में सैनिकों की स्थिति कमजोर हो सके। पत्थरबाजों के प्रति सहानुभूति और सैनिकों से सबूत मांगने वाले कांग्रेसी नेताओं की दोहरी मानसिकता से पता चल जाता है कि लड़ाई किसके बीच है। 24 फरवरी 1994 को संसद में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था । उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को एक समस्या के रूप में मानते हुए कहा गया कि इसका एकमात्र समाधान पाक अधिकृत कश्मीर की वापसी है। उस वक्त केंद्र में नरसिम्हा राव की कांग्रेसी सरकार ही थी। क्या हश्र हुआ उस प्रस्ताव का,शायद सुखदेव भगत ज्यादा जानते होंगे।
सवाल- गठबंधन के नेता सीएनटी व एसपीटी एक्ट से छेड़छाड़ करने, आदिवासियों की जमीन हड़पने आदि का आरोप लगा रहें हैं। क्या कहेंगे ?
जवाब- कांग्रेस और झामुमो व अन्य विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा फैलाया गया यह भ्रम मात्र है। झारखंड समेत पूरे देश में हो रहे तीव्र विकास से ये लोग घबड़ा गये हैं। इनके पास एक भी उदाहरण नहीं है कि किसी आदिवासी की जमीन लूटी गई हो। इनकी मानसिकता विकास विरोधी है। आम जनता भी इनकी मनोदशा को समझने लगी है। जहां तक राज्य में भय का माहौल की बात है तो राज्य की जनता इस बात को बखूबी जानती है कि 2014 के पूर्व राज्य में किस तरह नक्सलियों व उग्रवादियों का समानांतर सरकार चला करती थी। लगातार होने वाली हत्याएं व रोजाना बंद की घटनाओं से आम जनता त्रस्त थी। शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबक जाया करते थे। भाजपानीत सरकार आने के बाद नक्सल व उग्रवादी घटनाओं में काफी कमी आई है । अब राज्य की जनता राहत महसूस कर रही है। भय तो भ्रष्टाचारियों, आतंकवादियों व नक्सलियो को संरक्षण देने वालों में है ।
सवाल- हवा का रूख क्या ?
जवाब – इसका फैसला तो मतदाता ही करेंगे। मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि इस चुनाव में एक बार फिर इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराएगा। 23 अप्रैल को रांची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भव्य रोड शो और 24 अप्रैल को उनकी लोहरदगा की ऐतिहासिक जनसभा ने यह साफ बता दिया है कि हवा का रूख क्या है और लहर किसको कहते हैं। हमारे कार्यकर्ता पूरी मेहनत व समर्पित भाव से चुनाव में लगें है। संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं का रूझान भाजपा की ओर है । समाज के सभी वर्गों का भरपुर समर्थन व आशीर्वाद मिल रहा है। इस बार की जीत ऐतिहासिक होगी।

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