नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को शुक्रवार को निर्देश दिया कि जब तक कानून के तहत छूट नहीं मिल जाती, तब तक वह सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत बैंकों की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट से जुड़ी जानकारी का खुलासा करें। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरटीआई के तहत बैंकों से संबंधित सूचना का खुलासा करने के लिए आरटीआई से अपनी नीति की समीक्षा करने के भी निर्देश दिए। पीठ ने कहा कि यह कानून के तहत उसकी ड्यूटी की बाध्यता है। हालांकि, पीठ ने आरबीआई के खिलाफ अवमानना की याचिका पर कार्यवाही करने से इनकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह उसे पारदर्शिता कानून के प्रावधानों का पालन करने के लिए आखिरी मौका दे रही है। पीठ ने कहा कि अगर आरबीआई ने आरटीआई के तहत सूचना देने से इनकार किया तो वह इसे गंभीरता से लेगी। पीठ ने कहा कि किसी भी तरह का उल्लंघन गंभीरता से लिया जाएगा। इस साल जनवरी में शीर्ष न्यायालय ने आरटीआई के तहत बैंकों की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट का खुलासा ना करने के लिए आरबीआई को अवमानना नोटिस जारी किया था। इससे पहले उच्चतम न्यायालय और केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा था कि आरबीआई तब तक पारदर्शिता कानून के तहत मांगी गई सूचना देने से इनकार नहीं कर सकता जब तक कि उसे कानून के तहत खुलासे से छूट ना प्राप्त हो। आरबीआई ने अपने बचाव में कहा था कि वह सूचना का खुलासा नहीं कर सकता क्योंकि बैंक की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट में ‘‘न्यासीय’’ जानकारी निहित है। पीठ आरबीआई के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता एस सी अग्रवाल की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
This post has already been read 7809 times!