नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने खुद को अभियोजन को मदद करने की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने इस मामले की विजिलेंस रिपोर्ट सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट ने आज इस मामले को ट्रायल के लिए सेशंस कोर्ट में भेज दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी।
अब इस मामले का ट्रायल सेशंस कोर्ट में चलेगा यानी आगे से इस केस की सुनवाई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से ऊंची कोर्ट (सेशंस कोर्ट) में होगा। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट उन्हीं मामलों की सुनवाई करता है, जो कानून के मुताबिक उनकी शक्तियों के अधीन हों। जो उनकी शक्तियों के अधीन नहीं होता वे सेशंस कोर्ट को भेज दिए जाते हैं।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले खुद कार बनाने की मांग की थी। पिछले 14 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फिर दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह शशि थरूर को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएं। स्वामी ने यह मांग की थी कि इस मामले में साक्ष्यों को नष्ट करने पर दिल्ली पुलिस की विजिलेंस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की जाए। स्वामी का कहना था कि विजिलेंस रिपोर्ट देखने के बाद ही उचित आरोप तय करने में कोर्ट को मदद मिलेगी।
14 मई,2018 को दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र में सुनंदा पुष्कर के पति और कांग्रेस नेता शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है। शशि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-498ए और 306 के तहत आरोपी बनाया गया है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि सुनंदा पुष्कर की मौत शशि थरूर से शादी के 3 साल, 3 महीने और 15 दिनों में हो गई थी। दोनों की शादी 22 अगस्त,2010 को हुई थी। 01 जनवरी,2015 को दिल्ली पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-302 के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
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