आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरे होने से पहले ही दिया इस्तीफा

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका छह महीने के बाद कार्यकाल पूरा होना था, लेकिन उन्होंने अभी ही इस्तीफा दे दिया। उर्जित पटेल को आरबीआई का गवर्नर बनाए जाने के बाद दिसंबर 2016 में आचार्य को बैंक में डिप्टी गवर्नर के पद पर नियुक्त किया गया था। डॉ. विरल आचार्य इस साल अगस्त में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में सीवी स्टार प्रोफेसर ऑफ इकनॉमिक्स के रूप में ज्वाइन करने जा रहे हैं। विरल आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक के सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर रहे। इस संबंध में आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर बताया है, ‘मीडिया में खबरें आई हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के डिप्‍टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बारे में कहना है कि कुछ हफ्ते पहले डॉ. आचार्य ने आरबीआई को एक पत्र लिखा था जिसमें बताया था कि वह अपरिहार्य व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण आरबीआई के डिप्‍टी गवर्नर का कार्यकाल 23 जुलाई, 2019 के बाद जारी रखने में असमर्थ हैं।’ आरबीआई के अनुसार उनका यह पत्र संबंधित अधिकारियों के सामने विचाराधीन है।

आरबीआई की स्वायत्तता के मजबूत समर्थक

डॉ. विरल आचार्य रिज़र्व बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता में मजबूत विश्वास रखते हैं। उनका मानना है कि यह आर्थिक प्रगति और वित्तीय स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यहां तक कि उन्होंने चेतावनी दी थी कि उनके मौद्रिक प्राधिकरणों को नजरअंदाज करने वाली किसी भी सरकार को वित्तीय बाजारों में बुरी स्थिति और आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ेगा।

सरकारों को दी थी चेतावनी

डॉ. आचार्य ने 26 अक्टूबर, 2018 को मुंबई में दिये अपने एक भाषण में कहा था, ‘जो सरकारें केंद्रीय बैंकों की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करती हैं, वे देरसवेर वित्तीय बाजारों की बुरी स्थिती की जिम्मेदार बनती ही है। वे अर्थव्यवस्था में मंदी बढ़ाने की भी जिम्मेदार बनती हैं।’ उन्होंने आगे कहा था कि स्वतंत्रता की स्थिति हमेशा एक महान संवेदनशीलता को दर्शाती है, लेकिन यह आर्थिक क्षेत्र में भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

नियुक्तियों पर उठाए थे सवाल

पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे और उसके बाद शक्तिकांत दास को गवर्नर बनाए जाने से संबंधित एक बयान में विरल आचार्य ने कहा था कि एक गैर-टेक्नोक्रेट को एक महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करना कुछ इस तरह के कदम हैं जिनमें स्वतंत्रता से समझौता किया जाता है।

आचार्य को कहा जाता है गरीबों का राजन

विरल आचार्य को गरीबों का राजन भी कहा जाता है। वह इसलिए क्योंकि उनमें पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ कई समानताएं हैं। राजन ने भी अपनी इच्छाओं को जारी रखने के लिए आरबीआई को छोड़ दिया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता के साथ समझौता किया जाता है, तो यहां प्रतिभा का संकट उत्पन्न हो जाएगा। आचार्य ने उस समय डप्टी गवर्नर का पदभार संभाला था जिस समय नोटबंदी के बाद रिज़र्व बैंक धन जमा करने और निकासी से संबंधित नियमों में बार-बार नियमों में बदलाव के कारण आलोचना का सामना कर रहा था।

आरबीआर्ई में अब बचे हैं सिर्फ 3 डिप्टी गवर्नर

आरबीआई में अब सिर्फ तीन डिप्टी गवर्नर बचे हैं। ये हैं एन एस विश्वनाथन, बी पी कानूनगो और एम के जैन। विरल आचार्य के आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के पद से इस्तीफा देने के बाद अब आरबीआई के सबसे वरिष्ठ गवर्नर एन विश्वनाथन का कार्यकाल बढ़ने की संभावनाएं प्रबल नजर आ रही हैं। गौरतलब है कि उनका कार्यकाल जुलाई के पहले सप्ताह में ही समाप्त हो रहा है। रिज़र्व बैंक के उच्च पदों पर स्थायित्व लाने के लिए अब विश्वनाथन का कार्यकाल बढ़ाना बहुत आवश्यक हो गया है।

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