डॉ भूपेन के भारत रत्न को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए: सुदक्षिणा शर्मा

गुवाहाटी। डॉ भूपेन हजारिका की बहन सुदक्षिणा शर्मा ने मंगलवार को हिन्दुस्थान समाचार के साथ बातचीत करते हुए कहा कि भूपेन हजारिका असम ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर के सामाजिक और आर्थिक विकास को लेकर गंभीर थे। उन्हें भारत रत्न दिया जाना वाकई एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया की उनके जिंदा रहते अगर यह पुरस्कार मिलता तो उन्हें और खुशी मिलती। वे असम समेत पूरे पूर्वोत्तर के लिए और भी कुछ कर पाते। उन्होंने कहा कि भूपेन हजारिका को भारत रत्न दिए जाने को लेकर की जा रही राजनीति उचित नहीं है। यह नहीं होना चाहिए।
डॉ भूपेन हजारिका के भांजे ऋषिराज शर्मा ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि भूपेन मामा को अगर जीवित रहते या पुरस्कार मिलता तो अच्छी बात होती, किंतु भारत सरकार द्वारा भारत रत्न के लिए चुना जाना उचित है। वे इस पुरस्कार के अधिकारी थे। उन्होंने कहा कि असम और उत्तर-पूर्व के नागरिक के नाते यह जो सम्मान मिला है, वह बेहद अहम है और इसको लेकर हो रही राजनीति से मैं अत्यंत दुखी हूं। इस मामले को लेकर राजनीति कदापि नहीं होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि असम के हर दिल अजीज डॉ भूपेन हजारिका को केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद राज्य में भारी उत्साह देखा गया था, लेकिन वर्तमान समय में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ संगठन भारत रत्न को लेकर राजनीति करने में जुट गए हैं।
केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 को संसद के जरिए पारित करा कर कानून बनाने के लिए कृत संकल्पित है, वहीं राज्य के कुछ दल और संगठनों के साथ ही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस विधेयक के नाम पर सत्ताधारी पार्टी भाजपा को चुनाव में घेरने की रणनीति बना रही है। विधेयक के विरोध के नाम पर विभिन्न तरह के आंदोलन और विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। आंदोलन को और धार देने के लिए कुछ संगठनों ने डॉ भूपेन हजारिका के पुत्र तेज हजारिका से संपर्क कर विधेयक का विरोध करने का आह्वान ही नहीं किया, बल्कि उन्हें भारत रत्न को न लेने के लिए भी बयान देने के लिए तैयार करा लिया है। हालांकि यह मामला औपचारिक रूप से तेज हजारिका के द्वारा व्यक्त नहीं किया गया। इस विवाद में शामिल संगठनों ने मीडिया के जरिए इस बात को प्रचारित करा कर मुद्दे को तूल दे दिया। मीडिया में जब भारत रत्न को लेकर विवाद बढ़ा तो तेज हजारिका स्वयं टेलीफोन के जरिए राज्य के स्थानीय मीडिया से बात करते हुए अपनी सफाई दी कि भारत रत्न लेने के लिए उन्हें सरकार की ओर से कोई औपचारिक आमंत्रण नहीं मिला है। ऐसे में उसे लेने और नहीं लेने का सवाल ही नहीं उठता है।
राज्य में विधेयक के नाम पर मीडिया का एक वर्ग विपक्षी पार्टियों की तरह एजेंडा चलाने में जुटा हुआ है। तेज हजारिका के नाम पर फैलाया गया, यह भ्रमजाल उसी मीडिया का एजेंडा बताया जा रहा है। डॉ भूपेन हजारिका के परिवार से संबंधित लोगों का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मीडिया के जरिए भारत रत्न को लेकर की जा रही राजनीति के संबंध में उन्हें जानकारी मिली है।

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