वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राजनीति में प्रेम और भाईचारा वापस लौटना चाहिए। राजनीति में यह दोनों होना बहुत जरूरी है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। इसे वापस लाए जाने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी ने एक ब्लॉग के जरिए ऐसी ही सलाह दी थी। आडवाणी के कथन को मोदी की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी माना जा रहा था। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक संवाद के विषाक्त होने पर भी देश में चिंता का इजहार किया जा रहा है। मोदी ने शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान कहा कि भाषणों और टेलीविजन चैनलों पर नेताओं के बीच जो झगड़ा होता है उसका अनुसरण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्षी उम्मीदवार और राजनीतिक विरोधी दुश्मन नहीं है तथा वे भी लोकतंत्र के सिपाही हैं। वे भी हमारे लिए सम्माननीय हैं। उन्होंने कहा पर विपक्षियों पर अनर्गल टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। इसके साथ अहंकार और हेकड़ी वाला रवैया भी नहीं अपनाना चाहिए। कांग्रेस की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग हेकड़ी दिखाते थे उनका क्या हाल हुआ यह सबके सामने है। ‘वे 400 से 40 सीट पर आ गए।’ टेलीविजन चैनलों पर होने वाली तीखी नोंक-झोंक और आरोप-प्रत्यारोप के बारे में अपना अनुभव सुनाते हुए मोदी ने कहा कि कई वर्ष पूर्व ऐसी चर्चा में भाग लेने के लिए उन्हें बुलाया जाता था। डिबेट के समय वह विरोधी के प्रति कोई कटु टिप्पणी और आलोचना नहीं करते थे। टीवी वाले इससे बहुत निराश होकर कहते थे कि आपको बुलाने का क्या फायदा, आप तो चर्चा में कोई गर्मी ही पैदा नहीं करते। मोदी ने मजाकिया लहजे में कहा कि एंकर का मन रखने के लिए वह चर्चा में विरोधी के बारे में कुछ तीखी टिप्पणियां करने लगे।
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