सीबीआई निदेशक के चयन में खड़गे ने अपनाया राजनीतिक रवैयाः जेटली

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) के निदेशक चयन मंडल   में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की भूमिका की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि बार-बार विरोध में मतदान करके खड़गे ने चयन मंडल और इसमें असहमति के वोट का अवमूल्यन किया है।
सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा की नियुक्ति उनके तबादले  और नए निदेशक के रूप में ऋषि कुमार शुक्ल की नियुक्ति के  संबंध में खड़गे की भूमिका के बारे में अपने आलेख में  जेटली ने पूछा ‘क्या खड़गे ने  असहमति के   वोट की    कीमत गिरा दी।   ’ उन्होंने  कहा कि असहमति का वोट बहुत मूल्यवान होता है तथा वह ठोस   बुनियाद पर बहुमत के फैसले को चुनौती   देता है।    न्यायपालिका में भी  कोई न्यायाधीश बहुमत के फैसले के खिलाफ जब असहमति वाला फैसला देता है तो उसका बहुत   महत्व होता है।     ऐसा फैसला  भविष्य में गलतियों को सुधारने का आधार बनता है तथा भावी पीढ़ियों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह खेदजनक है कि खड़गे ने ने बार-बार विरोध में मत देकर असहमति के वोट की साख गिराई है।
जेटली ने कहा कि   लोकसभा में विपक्ष के सबसे बड़े दल के नेता के रूप में   चयन मंडल के   सदस्य बने   खड़गे ने   सीबीआई निदेशक से संबंधित प्रकरण में राजनीतिक रवैया अपनाया, जिससे चयन मंडल की राजनीतिक विश्वसनीयता और कार्यक्षमता पर सवालिया निशान लग गया है। वास्तव में खड़गे को चयन मंडल में शामिल ही नहीं होना चाहिए था क्योंकि उन्होंने पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कांग्रेस नेता ने हितों के इस टकराव की अनदेखी करके चयन मंडल की कार्यवाही में हिस्सा लिया और वहां भी निष्पक्ष चयनकर्ता की बजाय राजनीतिक रवैया अपनाया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति पूर्व में केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र रहा था। सीबीआई को उच्चस्तर पर फैले भ्रष्टाचार की जांच का काम भी करना होता है। इसलिए जांच एजेंसी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता कायम रखने के लिए बाद में यह महसूस किया गया कि सरकार की बजाय एक चयन मंडल यह काम करे।

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