इमरान खान ने भारत को दी वार्ता की आड़ में परमाणु हथियारों की धमकी

इस्लामाबाद ।  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद के घटनाक्रम के संबंध में भारत के साथ बातचीत की पेशकश की है| साथ ही उन्होंने परमाणु हथियारों की भी धौंस जताई है।
पाकिस्तान की वायुसेना द्वारा आज सुबह भारतीय वायुक्षेत्र का अतिक्रमण किए जाने के कुछ घंटे बाद इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हमारी कार्रवाई का उद्देश्य भारत को यह बताना था कि यदि आप हमारे मुल्क में आ सकते हैं, तो हम भी आपके देश में जा सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने भारत के दो मिग विमानों को मार गिराया। भारत को परोक्ष रूप से धमकी देने के अंदाज में उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम दिमाग से काम लें और बुद्धिमत्ता से कदम उठाएं।
अपने परमाणु जखीरे की धौंस जमाते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि पाक और भारत के पास जिस तरह के हथियार हैं उन्हें देखते हुए दोनों देशों को गलत आकलन के आधार पर कार्रवाई करने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हालात बिगड़ते हैं तो स्थिति मेरे अथवा नरेन्द्र मोदी के काबू में नहीं रहेगी।
इमरान खान ने कहा कि सभी युद्ध गलत आकलन से शुरू होते हैं और किसी को अंदाजा नहीं होता कि उनका अंजाम क्या होगा। प्रथम विश्व युद्ध के बारे में लोगों का मानना था कि यह कुछ सप्ताहों में समाप्त हो जाएगा। लेकिन यह छह वर्षों तक चला। इसी तरह किसी को अंदाजा नहीं था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई 17 वर्षों तक खिंचेगी।
बालाकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमने जवाबी कार्रवाई करने के पहले वहां हुए नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को पुलवामा हमले के बाद ही भारत की ओर से कार्रवाई किए जाने का अंदेशा था| इसी के मद्देनजर उन्होंने पुलवामा हमले की जांच में सहयोग करने की पेशकश की थी। पाकिस्तान को अंदाजा था कि भारत इस पेशकश के बावजूद कार्रवाई करेगा। इसीलिए उन्होंने किसी आक्रमण के खिलाफ भारत को चेतावनी दी थी।
पुलवामा आतंकवादी हमले में मारे गए जवानों के परिवार के प्रति घड़ियाली आंसू बहाते हुए इमरान खान ने कहा कि वह इन परिवारों के दर्द को समझते हैं। पुलवामा हमले के बाद उन्होंने भारत के प्रति शांति की पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि पुलवामा को लेकर भारत में जो गम का माहौल है उसे वह समझ सकते हैं। वह जांच कराने और वार्ता करने के लिए तैयार हैं। अपने संबोधन का अंत करते हुए उन्होंने कहा कि आइए, हम साथ बैठें और बातचीत से मसला सुलझाएं।

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