नई दिल्ली। ‘जो सपना महात्मा गांधी ने देखा था, उसी सपने को साकार करने में जुटे हैं गोविन्दाचार्य।’ गोवा के राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने कुछ इस अंदाज में सुप्रसिद्ध चिंतक के. एन. गोविन्दाचार्य को उनके जन्मदिन पर सराहा। गोविन्दाचार्य के 75वें जन्मदिवस पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा आयोजित एक समारोह में उन्होंने गोविन्दाचार्य का भारतीय रीति-नीति से अभिनंदन भी किया। इसके साथ ही गोविन्दाचार्य की जीवन यात्रा और विचार यात्रा को समायोजित कर प्रकाशित की गई पुस्तक ‘राजनीति की लोक-संस्कृति निमित्त गोविंदाचार्य ’ का लोकार्पण भी किया। इस पुस्तक का सम्पादन राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने किया है।
गुजरात के राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने इस अवसर पर कहा कि जो लोग गोविन्दाचार्च को निकट से जानते हैं वे ही इस पर विचार करें कि गोविन्द जी बेहतर राजनेता साबित होते या बेहतर सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता और राजनीति केवल ऊपरी तौर पर परिवर्तन का काम कर सकती है। वास्तव में परिवर्तन तो सामाजिक कार्यकर्ताओं और सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से आता है। गोविन्दाचार्य वही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोविंदाचार्य समाजिक विवेचना में रुचि रखते हैं। गोविंदाचार्य की विशेषता है कि वह लीक से हटकर अपनी बात कहते हैं। उन्होंने हमेशा मूल्यों और मुद्दों को पटरी पर लाने की कोशिश की है।
वहीं गोविंदाचार्य ने अपने अभिनंदन के प्रतिउत्तर में कहा कि आपने जिस प्रकार मेरा सम्मान किया वह गुण मेरे अंदर है कि नहीं मुझे नहीं मालूम लेकिन भारत की संस्कृति रही है कि अपने प्रति कठोर दूसरे के प्रति उदार। यही इसकी विशेषता है। देश संक्रमण के दौर से गुजर रहा है उसके बावजूद भारत की मौलिकता जिंदा है। यही इसकी विशेषता है।
इस अवसर पर आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं इसी साल गोविंदाचार्य 75 साल के हैं। इन दोनों में कई समानताएं हैं। पहली तो ये गांधी जी भी मूलतः राजनीतिक थे और गोविंदाचार्य भी हैं। राजनीतिक भारत की स्वधीनता और कमजोर वर्ग का उत्थान करना गांधी जी की राजनीति थी। वैसे ही सोचना गोविंदाचार्य का भी है। ऐसी राजनीति को लोगों को समझने की जरूरत है। दूलरी समानता ये है कि गांधी जी कहते थे कि जिंदा इस तरह रहो जैसे कल तुम्हें मर जाना है और सीखने जूनून इस तरह रखो जैसे तुम्हें हमेशा जिंदा रहना है। ऐसी बहुत सी समानताएं गोविंदाचार्य की गांधी जी से मिलती हैं जिससे हमारी अपेक्षाएं उनसे बढ़ जाती हैं।
इं. गा. राष्ट्रीय कला केन्द्र ने ‘संस्कृति संवाद श्रृंखला’ के 11वें संस्करण के तहत गोविन्दाचार्य का जन्मदिवस आयोजित किया था। प्रखर राजनेता रहे व हर विषय में भारतीय दृष्टिकोण से चिंतक के रूप में विख्यात गोविन्दाचार्य वर्तमान में अनेक आयामों से समाज को जाग्रत कर उसमें परिवर्तन लाने के काम में जुटे हैं। इसीलिए उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को केन्द्र में रखकर संस्कृति संवाद श्रृंखला में ‘भारत का स्वधर्म और राज्य व्यवस्था’ तथा ‘प्रकृति केन्द्रित विमर्श’ विषयों पर दो भागों में एक परिचर्चा भी आयोजित की गई थी। इन विषयों पर पूर्व राज्यपाल बीपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र, सेंटर फॉर पॉलिसी के जितेन्द्र बजाज, जेएनयू के प्राध्यापक आनंद कुमार, जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज, चिंतक पवन गुप्त, अर्थशास्त्री बजरंगलाल गुप्त और बिहार धार्मिक न्यास परिषद् के अध्यक्ष व पूर्व प्रशासक किशोर कुणाल ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में गोविन्दाचार्य के जीवन पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
आईजीएनसीए के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आईजीएनसीए पिछले दो साल से संस्कृति संवाद श्रृंखला का आयोजन कर रहा। इसका उद्देश्य कला, संस्कृति, साहित्य के साथ-साथ समाज के उन्नयन में अमूल्य योगदान करने वालों के अवदान पर सकारात्मक संवाद पैदा करना है।
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