येरवेन। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच हुई भीषण संघर्ष में आर्मीनिया के 15 सैनिकों की मौत हुई है, जबकि 12 सैनिकों को अजरबैजान के सैनिकों ने बंधक बना लिया है। आर्मीनिया ने अपने सैनिकों को छुड़ाने और कब्जाई जमीन को वापस दिलवाने में रूस से मदद मांगी है। बताया जाता है कि अजरबैजान की सेना ने आर्मीनिया के दो इलाकों पर कब्जा कर लिया है।
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पिछले साल नागोर्नो-कराबाख को लेकर दोनों देशों के बीच 44 दिनों तक युद्ध चला था। इस युद्ध में कम से कम 6500 लोग मारे गए थे, जबकि 10000 से अधिक लोग घायल हुए थे। युद्ध अजरबैजान के लिए एक निर्णायक जीत के साथ समाप्त हुआ था। युद्ध में इजरायल और तुर्की ने खुलकर अजरबैजान की मदद की थी, जबकि रूस ने आर्मीनिया की हिचक के साथ मदद की।
उस समय रूस की मध्यस्थता और नागोर्नो-कराबाख में लगभग 2,000 शांति सैनिकों को तैनात करने के बाद यह संघर्ष खत्म हुआ था। आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय के हवाले मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि अजरबैजान की सेना ने तोपों, छोटे हथियारों और आर्मर्ड व्हीकल से आर्मेनियाई सेना पर हमला बोला। इस हमले में उनके 15 सैनिक मारे गए हैं जबकि 12 पकड़े गए।
आर्मेनिया की सुरक्षा परिषद के सचिव आर्मेन ग्रिगोरियन ने कहा चूंकि अजरबैजान ने आर्मेनिया के संप्रभु क्षेत्र पर हमला किया है, इसलिए, हमने रूस से, मौजूदा 1987 (आपसी रक्षा) समझौते के आधार पर आर्मेनिया की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का आग्रह किया है। रूस का आर्मेनिया में सैन्य अड्डा है और नागोर्नो-कराबाख में शांति सेना भी मौजूद है। अर्मेनिया की अपील पर रूस ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं की है।
अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने आर्मीनियाई पक्ष की ओर से बड़े पैमाने पर उकसावे की कार्रवाइयों का जवाब देने के लिए सैन्य अभियान शुरू किया था। अजरबैजान ने आर्मीनिया के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व को विवाद बढ़ाने के लिए दोषी ठहराया है। अजरबैजान ने कहा कि आर्मीनियाई बलों ने तोपखाने और मोर्टार फायर के साथ हमारी सेना की चौकियों पर गोलाबारी की, जिसके जवाब में हमारी सेना ने कार्रवाई की।
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