बाजीराम की लाश लेने से 70 साल की वृद्धा मां का इनकार, उग्रवादी की मां कहलाना पसंद नहीं

रामगढ़ ।  दुर्दांत उग्रवादी बाजीराम के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सत्तर साल की उसकी वृद्धा मां ने यह कहते हुए अपने इकलौते बेटे की लाश लेने से इनकार कर दिया कि उन्हें उग्रवादी की मां कहलाना पसंद नहीं। कुख्यात उग्रवादी बाजीराम ने शादी नहीं की थी और वह अपने माता-पिता का इकलौता की इकलौती संतान था।
एक मां ने उग्रवादी के शव को लेने से इनकार करने की खबर जब हिन्दुस्थान समाचार ने जारी की तो रामगढ़ जिला पुलिस प्रशासन ने लाश उसके किसी परिजन कोे देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। एसपी निधि द्विवेदी के आदेश पर वेस्ट बोकारो ओपी प्रभारी कामता प्रसाद, कुजू ओपी प्रभारी ने लईयो गांव में स्थानीय मुखिया के साथ गांव के ही चितरंजन नाम के व्यक्ति से संपर्क किया। उसके बाद शुक्रवार की रात गांव में पूरी पंचायत लगी और हरसंभव प्रयास किया गया कि बाजीराम की मां लाश स्वीकार करने के लिए तैयार हो। लाश को मुखाग्नि देने के लिए प्रशासन ने बाजीराम के चचेरे भाई को ढूंढ निकाला, जो घाटो क्षेत्र में ही पारा शिक्षक है। उसे प्रशासन ने शनिवार की छुट्टी तक दे डाली।
शनिवार सुबह जब वेस्ट बोकारो और कुजू पुलिस ने लईयो में बाजीराम की मां और भाई से संपर्क करने की कोशिश की तो दोनों ही गायब हो गए। प्रशासन ने पता लगाया तो पता चला कि बाजीराम की मां अपने मायके चली गई है, जो मांडू में कहीं है। उसका चचेरा भाई भी इस डर से कहीं चला गया कि अगर वह उग्रवादी की लाश को जलाता है तो गांव में सब उसे क्या कहेंगे। अब पुलिस उन दोनों को ढूंढ रही है।
बाजीराव की मां ने शुक्रवार को ही जिला पुलिस प्रशासन को स्पष्ट कह दिया था कि वह बाजीराम की लाश नहीं लेंगी। इसके लिए उसका आत्मसम्मान भी उसे रोक रहा है। प्रशासन के पूछने पर वृद्धा ने कहा था कि बाजीराम उसका इकलौता बेेटा था। उसने जो आतंक मचाया था, उसी वजह से वह घर से दूर हो गया था। उसने कहा कि मेरे बेटे जो काम किया है उससे सिर्फ मेरा ही नहीं पूरे समाज का सिर झुक गया है। ऐसे उग्रवादी की मां कहलाना उन्हें पसंद नहीं। उसने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि उसका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकती। अगर उसका अंतिम संस्कार करती भी हैं तो पूरा समाज और गांव उन्हें उग्रवादी की मां कहकर ही बुलाएगा। यह लफ्ज उन्हें किसी कीमत पर मंजूर नहीं। एसपी द्विवेदी ने कहा कि बाजीराम के अंतिम संस्कार की उसके परिजनों की क्षमता नहीं है। अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन उन्हें संसाधन मुहैया कराएगा।

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