आपका व्यक्तित्व बनाता है आपकी पहचान

लगभग हर आदमी एक जैसा है। आप किसी सभागृह में पहुंच जाइये, जहां कोई वक्ता भाषण दे रहा हो, श्रोताओं को देखिये। दिखाई देगा कि लगभग हर श्रोता एक जैसा है। अब वक्ता को देखिये, सुनिये, आप पायेंगे कि वह दूसरों से हट कर हैं। वक्ता जब बोल रहा होता है तो उसके प्राय निम्नलिखित गुणधर्म प्रकट होते हैं। उसके विचार, जीवन के प्रति दृष्टिकोण, अनुभवों की व्यापकता। अपनी बात दूसरों को समझाने की शैली, उसकी एकाग्रता, वह दृढ़ता जिसके जरिये वह अपनी बात विश्वास के साथ आप तक पहुंचता है।

आप जब वक्ता को सुन रहे होते हें, तब उसका यह समग्र व्यक्तित्व आप के दिमाग पर जाने अनजाने छाता रहता है। यह प्रभाव ही वक्ता को श्रोताओं की भीड़ से अलग करता है, यह भी संभव है कि श्रोताओं में से एक या एक से अधिक व्यक्ति इस वक्ता से जयादा असरदार व्यक्तित्व वाले हों, लेकिन पता तो तभी चलेगा जब ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व प्रकट हो। भीड़ और अलग व्यक्तित्व इसी तरह से अलग-अलग होते हैं।

व्यक्ति के पक्ष

जब उसे कोई देखना चाहे, तब भी दिखे।

जब आप उसे दिखाना न चाहें, तब भी व्यक्तित्व का आभास हो। कछुये और खरगोश की कहानी अलग-अलग आयाम पेश करती है। खरगोश को हमेशा गर्व होता है कि वह बहुत तेज दौड़ता है। लेकिन जब दोनों की दौड़ हुयी तो कछुये ने बाजी मारी। कारण वह धीरे-धीरे भागता रहा, लेकिन खरगोश कुछ दूरी तेजी से दौड़कर बीच-बीच में आराम करता रहा। उसने अपनी गति एक समान नहीं रखी। लेकिन खरगोश ने अपनी धीमी गति से लक्ष्य को प्राप्त कर लिया।

कैसा हो स्वरूप

सुलझा हुआ, लक्ष्य तय कर आगे बढ़ने वाला।

विवेकी, परिस्थितियों को काबू में रखने वाला।

अनुशासित, मेहनत और ईमानदारी पर निर्भर।

बंधनों से मुक्त, जीवन की सच्चाइयों को समझने वाला।

आत्मसम्मान से भरपूर, मानवता को महत्व देने वाला।

ऐसा न हो

दुविधा में रहने वाला, हवाई किले बनाने वाला।

स्वार्थी, नासमझ, हठी।

समाजद्रोही या देशद्रोही

हमेशा स्वयं को सही ठहराने वाला।

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