क्या बागी होंगे अक्षय?

मुंबई। ये मामला अक्षय कुमार का बिल्कुल नहीं है। कनाडा के पासपोर्ट धारी अक्षय कुमार कानूनी रुप से भारत में चुनाव नहीं लड़ सकते, न ही वे मतदान कर सकते हैं। ये मामला एक दूसरे अक्षय का है, जिनको अक्षय खन्ना के नाम से जाना जाता है। अक्षय खन्ना फिल्मों की दुनिया से लगभग नदारद हैं और उनके बारे में चर्चा हो रही थी कि वे अपने पिता दिवंगत विनोद खन्ना की विरासत के उत्तराधिकारी के दावे के साथ चुनावी दंगल में आना चाहते हैं। विनोद खन्ना की सीट पंजाब के गुरदासपुर की रही है, जिस पर वे कई बार जीते और केंद्र में मंत्री भी बने। पिछला चुनाव भी वे जीते थे, लेकिन बाद में वे बीमार हो गए और फिर दुनिया से अलविदा हो गए। विनोद खन्ना की विरासत पर एक तरफ विनोद खन्ना की दूसरी पत्नी कविता दफ्तरी ने हक जताया, तो दूसरी ओर अक्षय खन्ना ने। विनोद खन्ना के निधन के बाद ये सीट कांग्रेस ने जीत ली, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व इस सीट को लेकर सजग हो गया। इस सीट पर दावेदारी के लिए पहले कविता ने हाथ-पैर मारे, वे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी मिलीं, लेकिन बात नहीं जमी, इसी बीच अक्षय खन्ना ने अपना दावा ठोक दिया। पिता के रहते अक्षय खन्ना ने कभी अपने पिता की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, बल्कि वे खुद को गैरराजनैतिक व्यक्ति बताते रहे। अक्षय खन्ना की सांसे इसलिए लटकी हैं, क्योंकि गुरदासपुर की सीट के लिए सनी देओल के नाम की भी चर्चा तेज पकड़ रही है। सनी की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात सार्वजनिक हो चुकी है। सनी देओल की टीम से भी संकेत मिल चुके हैं कि देओल चुनाव के अखाड़े में आजमाइश के लिए सकारात्मक हैं। पहले कहा जा रहा था कि सनी को भाजपा की ओर से अमृसतर सीट दी जा सकती है, लेकिन ये दांव खाली रहा। पार्टी ने अमृतसर सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिया और अब पंजाब में गुरदासपुर की ही सीट बची है, जहां से सनी को लड़ाया जा सकता है। इस सीट से अक्षय खन्ना और सनी देओल की दावेदारी पर इलाके में भी सनी देओल के नाम पर हवा ज्यादा बेहतर बताई जा सकती है। पार्टी मानकर चल रही है कि पंजाब के पुत्तर के नाम पर सनी देओल यहां से जीत सकते हैं। ऐसा हुआ, तो अक्षय क्या करेंगे? इस सवाल का जवाब ये माना जा रहा है कि अगर भाजपा ने मायूस किया, तो अक्षय खन्ना निर्दलीय के रुप में मैदान में जा सकते हैं। वे इस भरोसे पर हैं कि पिता के कामों की एवज में गुरदासपुर की जनता उनकी दावेदारी को गंभीरता से लेगी। अक्षय खन्ना को लेकर ये तक सुगबुगाहट है कि अंतिम पलों में अक्षय खन्ना पीछे हटकर अपने पिता की दूसरी पत्नी कविता को आगे कर सकते हैं, ताकि महिलाओं की संवेदना को वोट में बदला जा सके। कुछ भी हो, बालीवुड के लिहाज से देखा जाए, तो गुरदासपुर की सीट का मामला सितारों की भिड़ंत का बन सकता है।

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