मुंबई। सत्यमेव जयते’ और ‘परमाणु’ जैसी देशभक्ति की फिल्में करने के बाद जॉन अब्राहम ने फिर इसी जॉनर की फिल्म ‘रोमियो अकबर वॉल्टर’ रिलीज हो चुकी है। इसके बाद अगस्त में उनकी फिल्म ‘बाटला हाउस’ रिलीज होगी। इस मुलाकात में जॉन अपनी फिल्मों के सिलेक्शन, अपने प्रॉडक्शन, अवॉर्ड्स और फिल्मी कैंप पर बेबाकी से बात करते हैं: इस तरह की फिल्में मैं जानबूझकर नहीं कर रहा हूं, दरअसल यह बाय डिफॉल्ट होता गया है। अगर मुझे स्क्रिप्ट अपील करता है, तो मैं उसपर काम करना पसंद करता हूं। हाल ही में मैंने ‘पागलपंती’ की शूटिंग पूरी की है। वैसे मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मैं देशप्रेमी हूं और शायद यह भी वजह हो सकती है कि इस तरह की फिल्मों की ओर मैं जल्दी आकर्षित होता हूं। एक दर्शक के तौर पर अगर मुझे कोई कहानी पसंद आती है, तो मैं उसके लिए हामी भर देता हूं। ‘रॉ’ की स्क्रिप्ट ऐसी थी, जिसने मेरे होश उड़ा दिए। मुझे इसका आइडिया पसंद आया। ठीक उसी तरह ‘बाटला हाउस’ की कहानी भी मुझे बहुत अच्छी लगी थी। मैंने अनीस बज्मी की ‘पागलपंती’ भी इसीलिए साइन की क्योंकि मैं उस जॉनर को बहुत इंजॉय करता हूं। वैसे आपको बता दूं, ‘रॉ’ स्टीरियोटिपिकल देशभक्ति वाली फिल्म नहीं है। फिल्म में बहुत कुछ है, जिसे देखने के बाद क्लैरिटी आएगी।
समझता हूं प्रड्यूसर की जिम्मेदारी
मैं एक प्रडूयूसर की जिम्मेदारी समझता हूं। एक प्रड्सूर के तौर पर ‘विकी डोनर’ मेरी फिल्म थी, मैंने उस फिल्म के लिए बेस्ट ऐक्टर को कास्ट किया। ठीक वैसे ही मुझे ‘मद्रास कैफे’ के लिए जो ऐक्टर परफेक्ट लगा मैंने उसे ही कास्ट किया। यह बहुत जरूरी होती है कि आप कास्टिंग अच्छी करें। अगर आपकी कास्टिंग परफेक्ट होती है, तो परफॉर्मेंस बेहतरीन हो ही जाता है।
किसी कैंप का हिस्सा नहीं
मुझे कुछ समय पहले किसी ने पूछा था कि जॉन आपको देखकर लगता है कि आप किसी रेस का हिस्सा नहीं हो। आपने अपना ही एक स्पेस क्रिएट कर लिया है, जिसमें आप अपनी तरह की फिल्में करते हैं और उससे संतुष्ट भी हैं। मैंने उनसे यह कहा कि मैं असल में यही तो करना चाहता था। मैं खुद के लिए स्पेस ही तो क्रिएट करना चाहता था क्योंकि अगर आप किसी स्टाइल और कल्चर से मेल खाने लगते हो, तो आप हर पार्टी और कैंप का हिस्सा बन जाते हो। मैं फॉलोअर नहीं हूं, मुझे नहीं पता कि लोगों को कैसे फॉलो करना है और किसके कैंप को जॉइन करना है। मुझे कैंप कल्चर समझ ही नहीं आता है और यह मेरे लिए मायने भी नहीं रखता है। मैं अपनी तरह की फिल्में करना चाहता हूं। मैं किसी डायरेक्टर के सामने जाकर हाथ नहीं फैलाता कि मुझे फिल्म दें। क्योंकि मुझे यकीन है कि मैं खुद का कॉन्टेंट क्रिएट कर सकता हूं। हां, मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरा कॉन्टेंट सबसे बेहतरीन है, लेकिन यह दावे के साथ कह सकता हूं कि फिल्म देखने के बाद हर कोई यह कहेगा कि अगर जॉन की प्रॉडक्शन की है, तो इससे जरूर कुछ अलग होगा। मैं बहुत ही प्राइवेट पर्सन भी हूं। मुझे नहीं अच्छा लगता है कि मैं क्या खा रहा हूं या कब टॉइलट में बैठा हूं इसकी जानकारी लोगों को दूं। मैंने बहुत से सोशल मीडिया स्टार्स देखे हैं, लेकिन आप ही बताएं कि उन्होंने सिनेमा में क्या कॉन्ट्रीब्यूट किया है। उन्होंने कुछ भी प्रभावशाली काम नहीं किया है। यह मेरे लिए बहुत आसान है कि मैं नंगे बदन 40 तरह के एक्सरसाइज कर फोटोज अपलोड कर दूं, लेकिन यह मैं नहीं करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरी बॉडी या सोशल अपडेट से ज्यादा मेरा काम बोले। अनीस बज्मी की ‘पागलपंती’ हाल ही में शूट करके आया हूं। वहां मौसम बहुत खराब होने की वजह से कई बार हमें शूटिंग रोकनी भी पड़ी। भयानक तूफान और तेज ठंड ने हम सभी को परेशान कर दिया था। मैं अनिल कपूर, सौरभ शुक्ला, अरशद वारसी, पुलकित सम्राट, कृति सेनन, इलियाना डिक्रूज इन सभी की तारीफ करूंगा कि हम सभी ने कांपते हुए अपनी शूटिंग पूरी की। हमने ‘पागलपंती’ में ही पूरी शूटिंग पूरी की है। अनीस की कॉमिडी में बहुत अच्छी पकड़ है और सेट पर भी ऐसा ही माहौल होता था। बड़े ही मजे से हमने शूटिंग पूरी की है। अनिल जी अक्सर अपना टेक देने के बाद खुद को देखकर कहते कि ‘बॉस क्या ऐक्टिंग की है मैंने..’ सेट का माहौल इतना मस्तीभरा होता था कि हम अपनी सारी परेशानी भूल जाया करते थे। मैं अवॉर्ड कल्चर की बिलकुल भी रिस्पेक्ट नहीं करता हूं। आप बेस्ट सोशल मीडिया स्टार जैसे अवॉर्ड्स कैसे रख भी सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि यह कैटिगरी किसी अवॉर्ड शो की है लेकिन मैं किसी भी अवॉर्ड फंक्शन की रिस्पेक्ट नहीं करता हूं। चूंकि मैं उनकी रिस्पेक्ट नहीं करता हूं यही वजह है कि वे मुझे या मेरी फिल्मों को नॉमिनेट तक नहीं करते हैं। आप ही बताएं ‘परमाणु’ को किस अवॉर्ड फंक्शन में नॉमिनेट किया गया? नैशनल अवॉर्ड को छोड़ मुझे किसी पर भी भरोसा नहीं है। हमारी क्रेडिबिलिटी कहां चली गई है?
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