नार्मल डिलिवरी चाहती हैं तो करें ये व्‍यायाम

एक समय में माना जाता था कि गर्भावस्‍था के दौरान कसरत या व्‍यायाम करना गर्भवती महिला के लिए हानिकारक है लेकिन आधुनिक समय में डॉक्‍टरों ने देखा कि यदि गर्भवती महिला प्रेग्‍नेंसी की शुरुआत से कुछ जरूरी कसरतें करे तो न केवल वह प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली समस्‍याओं से काफी हद तक बची रहती है बल्कि उसकी डिलिवरी भी सामान्‍य होने की संभावना बढ़ जाती है। आइए नजर डालें कुछ ऐसी कसरतों पर।

गर्भावस्‍था में कसरत के समय इन बातों का रखें ध्‍यान

गर्भावस्‍था में कसरत या व्‍यायाम करते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखा जाना चाहिए जैसे, ढीले और आरामदेह कपड़े पहने हों, आरामदेह जूते पहने हों, वातावरण न ज्‍यादा गरम हो न ज्‍यादा ठंडा, पर्याप्‍त पानी पिया जाए, जो व्‍यायाम या योगासन असज और तकलीफदेह लगें उन्‍हें न किया जाए, एक ही जगह पर ज्‍यादा देर स्थिर न खड़े रहा जाए। इसके अलावा सभी कसरतें किसी योग्‍य विशेषज्ञ से सलाह लेकर किसी परिजन की निगरानी में की जाएं ताकि जरूरत पड़ने पर आप को मदद मिल सके।

ये कसरतें कर सकते हैं

प्रेग्‍नेंसी की अलग-अलग अवस्‍थाओं के हिसाब से कसरतें अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन कुछ कसरतें हैं जो आराम से की जा सकती हैं।

उकड़ूं बैठना

इसमें दोनों पैरों को फैलाकर धीरे-धीरे घुटने मोड़ते हुए नीचे बैठने का प्रयास करना चाहिए। घुटनों की ऊंचाई तक पहुंचकर कुछ सेकेंड रुका जाए फिर पहले की स्थिति में आ जाया जाए। ऐसा पांच से दस बार करें। ऐसा करने से श्रोणि मेखला की मांसपेशियों में लचीलापन आएगा और सामान्‍य प्रसव में सुविधा होगी।

तितली आसन

जमीन पर बैठकर दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिलाया जाए। इसके बाद दोनों तलवों दोनों हाथों से पकड़कर घुटनों को तितली के पंख की तरह ऊपर-नीचे हिलाएं। ऐसा 10 से 15 बार किया जा सकता है। इसके बाद पैरों को पुन: सामान्‍य स्थिति में रखें। ऐसा पांच से दस बार करें।

सैर करना

अगर प्रेग्‍नेंट महिला सुबह-शाम आधे घंटे तक सैर करती है तो इससे शरीर में लचीलापन बना रहता है, मन में ताजगी आती है साथ ही बढ़ते वजन पर भी रोक लगती है। सैर गर्भावस्‍था के आखिरी महीनों में भी की जा सकती है।

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