रोस्टर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करेगा एमएचआरडी: जावड़ेकर

नई दिल्ली । केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को राज्यसभा में स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में संकाय की नियुक्तियों में विभाग-वार रोस्टर के खिलाफ मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करेगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण सरकार की प्रतिबद्धता      है और इस पर किसी भी सूरत में आंच नहीं आने दी जाएगी।
राज्यसभा में आज भी समाजवादी पार्टी(सपा), बहुजन समाज पार्टी(बसपा), राष्ट्रीय जनता दल(राजद)    सहित वाम दल के सदस्यों ने सदन    में केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में संकाय की नियुक्ति में विभाग-वार रोस्टर लागू होने से अनुसूचित जाति(एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी) और अन्य पिछड़ा   वर्ग(ओबीसी) के अधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया। विपक्षी सदस्य 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ संसद के इस सत्र में सरकार से बिल लाने की मांग कर रहे हैं। इस पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में विभागवार आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आया है। कोर्ट का यह आदेश हमें मंजूर नहीं था इसलिए हम उसके खिलाफ कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करेंगे और हमें पूरा विश्वास है कि समीक्षा याचिका में न्याय होगा। उन्होंने कहा कि सदन में जो मुद्दा उठा है उससे हम पूरी तरह से संवेदना रखते हैं क्योंकि आरक्षण के आंदोलन का हम हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी विभाग को एक यूनिट मानने के बजाय विश्वविद्यालय को ही एक यूनिट मानने के पक्ष में है।
जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर पूर्व में दाखिल की गई स्पेशल लीव पेटिशन(एसएलपी) को खारिज होने के बाद 30-40 विश्वविद्यालयों का अध्ययन किया। इसमें विभागवार रोस्टर के लागू होने से एससी, एसटी और ओबीसी के उम्मीदवारों के साथ कैसा अन्याय होगा, इस बात की पुष्टि के लिए आंकड़े जुटाए गए। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन के आधार पर हमने रिव्यू पिटीशन तैयार की है और हमें पूरा विश्वास है कि इससे न्याय मिलेगा। हमारी प्रतिबद्धता आरक्षण है और इस पर आंच नहीं आने देंगे।
इस संबंध में यूजीसी सर्कुलर के मुद्दे पर जावड़ेकर ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद यूजीसी ने सर्कुलर निकाला और उसे वापस नहीं लिया, इस पर कानूनी सलाह ली जा रही है। हालांकि इस दौरान जावड़ेकर के बयान से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य बीच-बीच में उन्हें रोकते रहे। इस पर सभापति को भी हस्तक्षेप करना पड़ा।

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