सुप्रीम कोर्ट में बोले सिब्बल, धारा-144 को 3 महीने से ज्यादा नहीं लगाया जा सकता

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में प्रतिबंध के मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पूरे राज्य में प्रतिबंध संविधान के आपात प्रावधानों के जरिए ही लगाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी राज्य में धारा-144 को तीन महीने से ज्यादा नहीं लगाया जा सकता है। इस मामले पर अगली सुनवाई 14 नवम्बर को होगी।

कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद की ओर से कपिल सिब्बल ने दलीलें रखते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के पहले चार अगस्त को राज्य भर में धारा-144 लगाई गई थी। संविधान के मुताबिक पांच अगस्त से पहले जो कानून लागू था उसके तहत आंतरिक गड़बड़ियों के आधार पर धारा-352 के तहत आपातकालीन प्रावधान थे। इसलिए अगर सरकार को लगता है कि प्रतिबंध लगाना जरूरी था तो यह धारा 352 के तहत घोषित किया जा सकता था। 352 के तहत लगाए गए प्रतिबंध की संसद समय-समय पर समीक्षा कर उसे हटा सकती है या रहने दे सकती है।

सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार ने धारा 144 के तहत पारित सभी आदेशों को नहीं दिखाया है। केवल कुछ जिलों को लेकर जारी आदेशों को ही दिखाया है। सात मिलियन लोगों को संदेह की दृष्टि से देखा गया है। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उद्धरण देते हुए कहा कि अगर प्रथम दृष्टया लगता है कि धारा 19 का उल्लंघन हुआ है तो प्रतिबंधों को सही साबित करने की जिम्मेदारी सरकार की है।

पिछले छह नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि पांच अगस्त के बाद से राज्य में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की क्या स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्या बसें, ट्रक चल रहे हैं या नहीं, क्या किसी तरह का पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर प्रतिबंध लगाया गया है? सुनवाई के दौरान जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कपिल सिब्बल से पूछा था कि क्या कोर्ट ने ऐसे मुद्दे पर फैसला किया है। तब सिब्बल ने कहा कि सात दशकों में ऐसा नहीं हुआ। लाखों लोगों के अधिकार छीन लिए गए हैं।

सिब्बल ने कहा था कि सरकार अशांति फैलाने वालों को गिरफ्तार करें लेकिन शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है। सिब्बल ने कहा था कि सीमा पार आतंक आज शुरू नहीं हुआ है। कोई भी सीमा पार कर सकता है।

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