मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को बैंकों की तनावग्रस्त परिसंपत्तियों का संशोधित फेमवर्क जारी किया। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल में शीर्ष बैंक द्वारा पहले जारी परिपत्र को खारिज कर दिया था, जिसमें 2000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज जिस दिन डिफाल्ट करता, उसकी दिन समाधान प्रक्रिया को शुरू करना अनिवार्य बनाया गया था। नए परिपत्र के मुताबिक, अब कर्जदाता डिफाल्ट होने के 30 दिनों के अंदर तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान प्रक्रिया की शुरुआत कर सकेंगे। परिपत्र में कहा गया, “सभी कर्जदाताओं को निश्चित परिसंपत्तियों के समाधान के लिए निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीतियों को लागू करना चाहिए, जिसमें संकल्प के लिए समयसीमा भी शामिल है।” आरबीआई ने कहा, “चूंकि किसी भी कर्जदाता के साथ चूक वित्तीय उधारकर्ता द्वारा सामना किए गए वित्तीय तनाव का एक संकेतक है, यह उम्मीद की जाती है कि कर्जदाता डिफॉल्ट से पहले भी एक संकल्प योजना (आरपी) को लागू करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।”
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