गोड्डा। तमाम सरकारी कोशिशों के बावजूद झारखंड के कई जिले आज भी कुपोषण के चपेट में है. कुपोषण के मामले में गोड्डा की स्थिति भी बेहद खराब है। ऐसे में कुपोषण की समस्या को मात देने के लिए अदाणी फाउंडेशन की ओर से चलाया जा रहा सुपोषण कार्यक्रम एक सराहनीय प्रयास है। जिले के दर्जन भर से ज्यादा गांवों में चल रहे सुपोषण कार्यक्रम से जुड़ी 21 संगिनी बहनों को गोड्डा स्थित अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में एक दिवसीय ट्रेनिंग दिया गया। सरकार की ओर से चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों के अलावा सुपोषण की ओर से संगिनी कार्यकर्ताओं को कुपोषण से मुक्ति के अभियान पर लगाया गया है। ये संगिनी विगत तीन साल से बक्सरा, पेटवी, सोनडीहा, पटवा, रंगनिया, बसंतपुर. जीतपुर आदि गांवों में घर-घर जाकर कुपोषित बच्चों की पहचान करके उनकी स्थिति में सुधार करने में जुटी हैं। इन गांवों में निवास करने वालों में एक बड़ी संख्या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की हैं। नतीजन, ये अपने बच्चों का सही भरण पोषण नहीं कर पाते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड में पांच वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत 47.8 है। इन संगिनियों के माध्यम से अब तक दो हजार से ज्यादा बच्चों को सुपोषित किया जा चुका है। सुपोषण कार्यक्रम के कॉडिनेटर विवेक यादव कहते हैं, बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं और यदि बच्चे जन्म से ही कुपोषित होंगे तो युवा भविष्य कैसे उन्नत होगा। विवेक ने बताया कुपोषण के निर्धारित मापदंड के लिए हमने मोयो चार्ट बनाया है जिसपर लिखे आंकड़ों से मिलान करते ही तुरंत पता चल जाता है कि बच्चा कुपोषित है या सुपोषित। मोयो चार्ट के मुताबित कुपोषण के आकलन का एक मापदंड पांच वर्ष के बच्चों की आयु के अनुसार उसका वजन भी है। इसके तहत आयु के अनुसार वजन, आयु के अनुसार ऊंचाई और ऊंचाई के अनुसार कम वजन का होना है।
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