29 सरकारी कंपनियों को बेचने की तैयारी में मोदी सरकार

दिल्ली : मोदी सरकार विनिवेश की गति को बढ़ाना चाहती है. और इसके लिए केंद्र सरकार ने रणनीतिक विनिवेश और सरकारी जमीनों की बिक्री के जरिये एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

खबर है कि राशि जुटाने के लिए सरकार ने 29 कंपनियों की सूची तैयार की है. इन कंपनियों की हिस्सेदारी को प्राइवेट कंपनियों को बेचकर पैसा जुटाया जायेगा. सरकार इस प्रक्रिया को जल्द ही अंतिम रूप देगी.

जनसत्ता की खबर के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट पब्लिक असेट्स मैनेजमेंट के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सरकार रणनीतिक बिक्री के साथ ही अगले सप्ताह बिक्री के लिए तीन नए प्रस्ताव भी पेश कर सकती है.

उन्होंने बताया कि बजट में ऐसे कई उपायों बताये गये हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों में जनता की हिस्सेदारी को बढ़ाना शामिल है. जिसके जरिये इक्विटी मार्केट से पैसा जुटाने में मदद मिलेगी.

अगले हफ्ते बिक्री के तीन नये प्रस्ताव

सरकार रणनीतिक निवेश के तहत चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ेगी. सरकार एयर इंडिया के बिक्री की घोषणा पहले कर चुकी है. अगले हफ्ते इस तरह की तीन बिक्री संबंधी प्रस्ताव पेश किए जाएंगे.

इसलिए, इनके लिए एक ऐसी कन्वेयर बेल्ट होगी जहां प्रोडक्ट को रखा जाएगा. सचिव चक्रवर्ती ने कहा कि मोदी सरकार कुछ जमीनों की बिक्री का प्रस्ताव पेश कर बाजार की उसपर प्रतिक्रिया देखेगी. इसके बाद इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा.

विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ जुटायेगी सरकार

केंद्र की मोदी सरकार ने आम बजट 2019 में 1.05 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा है. अंतरिम बजट में विनिवेश के जरिये 90 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था. अब सरकार ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य में बढ़ोतरी की है.

संसाधनों को बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के साथ ही जमीनों को बेचने पर भी जोर देगी.

2018-19 में लक्ष्य से अधिक जुटायी गयी राशि

सरकार ने 2019-20 के पहले दो महीने में 2357.10 करोड़ रुपये जुटाये हैं. जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने विनिवेश के जरिये 84972.16 करोड़ रुपये जुटाये थे. जो इस साल 80 हजार करोड़ रुपये के निर्धारित लक्ष्य से अधिक था.

चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार ने बाजार से इक्विटी फ्लो बढ़ाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है. उदाहरण के लिए कंपनियों में जनता की हिस्सेदारी को 25 से बढ़ाकर 35 फीसदी करने से दीर्घावधि के लिए अधिक पैसा जुटाया जा सकेगा.

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