इंसान को सीखना कभी भी बंद नहीं करना चाहिए. सीखते रहने से आप नई चीजें तो जानते ही हैं, साथ ही खुद को बेहतर भी बनाते हैं, जो आपको भविष्य में फायदा दे सकता है. इसी कड़ी में कुछ स्किल्स भी शामिल हैं, जिन्हें सीखना हर किसी के लिए आसान नहीं होता लेकिन अगर कोई उन्हें सीख ले तो वे उसे हमेशा फायदा देते हैं. फिर चाहे बात करियर की हो या फिर जिंदगी के पड़ावों की. बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में ऐसे ही 7 स्किल्स का जिक्र है. आइए बताते हैं इन स्किल्स के बारे में…
कब रहना है चुप
हर इंसान कभी न कभी किसी न किसी बात पर गुस्सा होता है या किसी बहस में पड़ता है. ऐसे में अक्सर ऐसी स्थिति आती है, जब हमारा खुद पर कंट्रोल नहीं रहता है और हम अपना गुस्सा या गुबार निकाल देते हैं. लेकिन हर जगह और हर बार ऐसा करना सही नहीं है. इससे आपके संबंध खराब हो सकते हैं. इसलिए कब चुप रहना है और कब आवाज बुलंद करनी है, इसका पता होना जरूरी है. साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जब हम खुद के लिए स्टैंड ले रहे हों तो शब्दों और आवाज पर कैसे कंट्रोल रखा जाए.
इमोशनल इंटेलीजेंस
इमोशनल इंटेलीजेंस (ईक्यू) व्यवहार को मैनेज करने के तरीके, सामाजिक जटिलताओं को संभालने और पॉजिटिव रिजल्ट देने वाले फैसलों को प्रभावित करती है. ईक्यू अपने अंदर के और दूसरों के इमोशंस को पहचानने और समझने की योग्यता है. इससे आपको इमोशंस को लेकर आई अवेयरनेस का इस्तेमाल कर अपने व्यवहार और संबंधों को मैनेज करने में मदद मिलती है. दशकों की रिसर्च के बाद सामने आया है कि इमोशनल इंटेलीजेंस स्टार परफॉरमर्स बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
टाइम मैनेजमेंट
टाइम मैनेजमेंट एक महत्वपूर्ण स्किल है, जो न केवल करियर में बल्कि पूरी जिंदगी फायदा देता है. टाइम मैनेजमेंट से अर्थ है कि हर काम अपने सही वक्त से हो जाए. टाइम मैनेजमेंट सीखना आपको हाईएस्ट लेवल की परफॉरमेंस तक ले जाता है.
दूसरों को सुनना
कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी बात तो रख देते हैं लेकिन जब दूसरों के कहने का नंबर आता है तो या तो उन्हें सुनना पसंद ही नहीं करते या फिर उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते. वास्तव में सुनने से मतलब है कि हम सामने वाले की कही गई बात पर ध्यान दें और केवल अपनी कहने पर न लगे रहें.
‘न’ कहना
न कहना कई लोगों के लिए सबसे मुश्किल स्किल है. सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक आपको न कहने में जितनी ज्यादा कठिनाई होती है, आप उतना ही स्ट्रेस, गुबार फील करते हैं. यहां तक कि कुछ लोग डिप्रेशन में भी चले जाते हैं. इसलिए इन्सान को न कहना भी आना चाहिए, साथ में यह भी इसे सही वक्त और सही जगह पर कहा जाए. इससे आप गैर—जरूरी बोझ से फ्री रहते हैं और अपने वक्त व एनर्जी को जिंदगी की जरूरी चीजों के लिए रख सकते हैं.
उम्दा नींद
सभी जानते हैं कि अच्छी नींद दिमाग के लिए अच्छी है. हाल ही में University of Rochester की एक स्टडी में पाया गया कि जब आप सोते हैं तो दिमाग हानिकारक प्रोटीन्स को रिमूव करता है. ये प्रोटीन आपके जागते रहने के दौरान की गई न्यूरल एक्टिविटीज से बनते हैं. लेकिन ये प्रोटीन उचित रूप से तभी खत्म होते हैं, जब आप उम्दा नींद यानी सही मात्रा में नींद लेते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो ये हानिकारक प्रोटीन ब्रेन सेल्स में रह जाते हैं और आपके सोचने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. इससे परेशानियां हल करने की आपकी योग्यता कम हो जाती है, क्रिएटिविटी खत्म होने लगती है और इमोशनल रिएक्टिविटी बढ़ जाती है.
पॉजिटिव रहना
पॉजिटिविटी आपको हर तरह की चुनौती से निपटने में मदद करती है. हालांकि कभी—कभी कुछ स्थितियों में पॉजिटिव सोच रखना मुश्किल हो जाता है लेकिन फिर भी कोशिश करनी चाहिए. इससे संघर्ष करने की क्षमता में इजाफा होता है. पॉजिटिव रहने के लिए फोकस और अटेंशन की जरूरत होती है.
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