मुंबई। फिल ब्राउन में कभी भी आत्मविश्वास की कमी नहीं थी। वह इंग्लैंड के चौथे टीएर के क्लब हल सिटी के साथ चार साल और पांच साल स्वीनडन टाउन में बिताने के बाद भारत आए हैं। उनके पास खुद को साबित करने के लिए सिर्फ छह मैच हैं।
ऐसी संभावना है कि पुणे ने उन्हें अगले सीजन तक के लिए अपने साथ जोड़ा है। बीते साल सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली पुणे की इस सीजन की शुरुआत अच्छी नहीं रही और टीम लगातार पिछड़ती रही। टीम के अंतरिम कोच प्रद्यूमन रेड्डी ने हालांकि टीम को सुधारने की कोशिश भी लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पाए। जो भी प्रयास किए गए वो पुणे को शीर्ष-4 में लाने के लिए नाकाफी निकले लेकिन ब्राउन ने सिर्फ तीन मैच पहले ही टीम की जिम्मेदारी संभाली है और इतने में ही उन्होंने बता दिया है कि पुणे ने क्या मिस किया।
ब्राउन ने पहले कहा था, ‘मैं चाहता हूं कि खिलाड़ी आईएसएल का करार हासिल करने में मेरी मदद करें और आईएसएल में मेरे एडवेंचर को बनाए रखें। यह कहना कि मैं सिर्फ छह मैचों के लिए आया हूं यह नकारात्मक बात होगी लेकिन मुझे अपनी काबिलियत में पूरा विश्वास है कि मैं यहां कुछ हासिल करके जाऊंगा।’
ब्राउन ने अभी तक जो हासिल किया है वो काबिल-ए-तारीफ है। इंग्लैंड के इस खिलाड़ी ने अपने कार्यकाल की शुरुआत पुणे को चेन्नइयन एफसी के खिलाफ क्लब की पहली जीत दिलाकर की। इसके बाद रॉबिन सिंह के आखिरी में किए गए गोल के दम पर पुणे ने एटीके के साथ ड्रॉ खेला। इन दो मैचों के बाद टीम का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था और इसका पूरा श्रेय ब्राउन और उनके प्रबंधन को जाता है जिनके दम पर पुणे ने घर से बाहर जमशेदपुर एफसी को 4-1 से हराया। यह जीत जब आई तब किसी को हैरानी नहीं हुई थी। जिस तरह से पुणे ने जमशेदपुर को उसके घर में हराया वह बताता है कि टीम ने कितना सुधार किया है। मेजबान टीम के लिए 75वें मिनट में सिर्फ कार्लोस काल्वो ही गोल कर पाए जो पेनाल्टी के माध्यम से आया। सीजन फर्नांडो की टीम के लिए वह हार घर में मिली पहली हार थी।
ब्राउन ने कहा कि एक कोच के तौर पर जब आप क्लब में जाते हो तो आप समस्या अपने सिर पर लेते हो। मुझे नहीं लगता कि मैंने बड़ी समस्या अपने सिर ली। मैंने उस टीम की जिम्मेदारी संभाली जो दो मैच जीत चुकी थी। जब आप इस तरह की टीम को संभालते हो तो आपको लीग को समझना जरूरी होता है। दूसरी बात, मेरे पास खिलाड़ियों के साथ काम करने के लिए चार सप्ताह हैं। सीजन की शुरुआत में खासकर मिगुएल एंजेल पुर्तगाल जब पुणे के कोच थे तब पुणे की जो एप्रोच थी वह अब बदल गई गई। पुणे ने साबित किया है कि वह किसी भी टीम से कम नहीं है, लेकिन ब्राउन के आने के बाद भी पुणे के लिए प्लेऑफ में जगह बनाना नामुमकिन है।
ऐसी संभावना है कि पुणे ने उन्हें अगले सीजन तक के लिए अपने साथ जोड़ा है। बीते साल सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली पुणे की इस सीजन की शुरुआत अच्छी नहीं रही और टीम लगातार पिछड़ती रही। टीम के अंतरिम कोच प्रद्यूमन रेड्डी ने हालांकि टीम को सुधारने की कोशिश भी लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पाए। जो भी प्रयास किए गए वो पुणे को शीर्ष-4 में लाने के लिए नाकाफी निकले लेकिन ब्राउन ने सिर्फ तीन मैच पहले ही टीम की जिम्मेदारी संभाली है और इतने में ही उन्होंने बता दिया है कि पुणे ने क्या मिस किया।
ब्राउन ने पहले कहा था, ‘मैं चाहता हूं कि खिलाड़ी आईएसएल का करार हासिल करने में मेरी मदद करें और आईएसएल में मेरे एडवेंचर को बनाए रखें। यह कहना कि मैं सिर्फ छह मैचों के लिए आया हूं यह नकारात्मक बात होगी लेकिन मुझे अपनी काबिलियत में पूरा विश्वास है कि मैं यहां कुछ हासिल करके जाऊंगा।’
ब्राउन ने अभी तक जो हासिल किया है वो काबिल-ए-तारीफ है। इंग्लैंड के इस खिलाड़ी ने अपने कार्यकाल की शुरुआत पुणे को चेन्नइयन एफसी के खिलाफ क्लब की पहली जीत दिलाकर की। इसके बाद रॉबिन सिंह के आखिरी में किए गए गोल के दम पर पुणे ने एटीके के साथ ड्रॉ खेला। इन दो मैचों के बाद टीम का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था और इसका पूरा श्रेय ब्राउन और उनके प्रबंधन को जाता है जिनके दम पर पुणे ने घर से बाहर जमशेदपुर एफसी को 4-1 से हराया। यह जीत जब आई तब किसी को हैरानी नहीं हुई थी। जिस तरह से पुणे ने जमशेदपुर को उसके घर में हराया वह बताता है कि टीम ने कितना सुधार किया है। मेजबान टीम के लिए 75वें मिनट में सिर्फ कार्लोस काल्वो ही गोल कर पाए जो पेनाल्टी के माध्यम से आया। सीजन फर्नांडो की टीम के लिए वह हार घर में मिली पहली हार थी।
ब्राउन ने कहा कि एक कोच के तौर पर जब आप क्लब में जाते हो तो आप समस्या अपने सिर पर लेते हो। मुझे नहीं लगता कि मैंने बड़ी समस्या अपने सिर ली। मैंने उस टीम की जिम्मेदारी संभाली जो दो मैच जीत चुकी थी। जब आप इस तरह की टीम को संभालते हो तो आपको लीग को समझना जरूरी होता है। दूसरी बात, मेरे पास खिलाड़ियों के साथ काम करने के लिए चार सप्ताह हैं। सीजन की शुरुआत में खासकर मिगुएल एंजेल पुर्तगाल जब पुणे के कोच थे तब पुणे की जो एप्रोच थी वह अब बदल गई गई। पुणे ने साबित किया है कि वह किसी भी टीम से कम नहीं है, लेकिन ब्राउन के आने के बाद भी पुणे के लिए प्लेऑफ में जगह बनाना नामुमकिन है।
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