Health : इटकी रोड स्थित जसलोक अस्पताल के डाक्टर जितेंद्र सिन्हा का मानना ६० वर्ष के बाद पुरूषों को प्रायः पेशाब करने की इच्छा बलवती हो जाती है। पेशाब रूक रूक कर होता है। इनके पेशाब की धार भी पतली हो जाती है। पेशाब की इच्छा इतनी तेज हो जाती कि कई बार कपड़ों में पेशाब हो जाता है एकाएक पेशाब रूक जाता है जो जानलेवा जैसी स्थिति होती है। यह सभी एक विशेष बिमारी के लक्षण है।जिसे प्रोस्टेट का बढ़ना या बिनाईन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी कहते हैं। यह उम्र बढ़ने के कारण केवल पुरुषों को होता है।
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प्रोस्टेट के शुरूआती लक्षण दवाओ से कन्ट्रोल हो जाते हैं। ये दवाएं मूत्रमार्ग का अवरोध कम कर देती है। दवा के साथ कुछ कसरत भी सिखाए जाते हैं जिसमें पैल्विक मांसपेशियों को बार-बार सिकोड़ने और ढीला करने कहा जाता हैं। ऐसे कसरत से पैल्विक की मांसपेशियां मजबूत होती है और पेशाब का फ्लो बढ़ कर समान्य हो जाता है। प्रोस्टेट बढ़ने पर कैफिन, शराब और अधिक पानी लेने से मना किया जाता है।
प्रोस्टेट का आकार अधिक बढ़ जाने पर दवा से संतोषजनक लाभ नही मिलता है। ऐसे मे दूरबीन द्वारा प्रोस्टेट का आपरेशन किया जाता है। जिसे टी. यू.आर.पी.कहते है। इसमे चीरा या टांका नहीं लगाया जाता। बिना बेहोश किये सिर्फ कमर के नीचे का भाग को सुन्न किया जाता है। दूरबीन द्वारा प्रोस्टेट के बढ़े हुए गाँठ को खुरचकर निकाल दिया जाता है। जिससे मूत्र मार्ग का अवरोध खत्म हो जाता है।
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प्रोस्टेट की गाँठ का आकार बहुत बड़ा हो जाने पर टी.यू.आर.पी काम नहीं करता है। चिकित्सक को दूरबीन या चीरे विधि द्धारा बढ़े हुए प्रोस्टेट की पूरे गांठ को बाहर निकालना पड़ता है। प्रोस्टेट के लक्षणों को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। लम्बे समय तक बढ़े प्रोस्टेट का इलाज न कराने पर इसमें कैंसर होने की सम्भावना होती है।
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