डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा बात चाहे कोविड महामारी की हो या चिकित्सा और स्वास्थ्य क्षेत्र की या शांति रक्षा मिशन की या जलवायु परिवर्तन की या आर्थिक क्षेत्र की हो या आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने की, आज दुनिया के देश भारत की ओर आशा और विश्वास की दृष्टि से देखने लगे हैं। अब वैश्विक मंचों पर भारत को लेकर दुनिया के देशों द्वारा दिए जा रहे संदेशों में यह प्रमुखता से उजागर होने लगी है। पिछले सप्ताह ही विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 को संबोधित करते हुए संयुक्त…
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बजट 2021 : राष्ट्र की जरूरतों के अनुरूप
पिछले सप्ताह, बजट 2021 असामान्य परिस्थितियों में संसद के पटल पर रखा गया। महामारी ने हमारे सामाजिक और आर्थिक हालात के लिए गंभीर चुनौतियां पेश की हैं। इसने हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों, अर्थव्यवस्था, शासन, सामाजिक संरचनाओं और इनसे भी ऊपर एक राष्ट्र के रूप में ऐसी संकटपूर्ण स्थिति का मुकाबला करने के लिए हमारे सामर्थ्य की परीक्षा भी ली है। यह अक्सर कहा जाता है कि “संकटपूर्ण स्थितियां या तो आगे बढ़ने का अवसर देती है, या जहां हैं, वहीं रूक जाने के लिए बाध्य करती हैं।” यहां, मैं प्रधानमंत्री…
Read Moreदुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है
रंजना मिश्रादुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है, यानी हर चौथा व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक के खतरे के दायरे में है। ब्रेन स्ट्रोक यानी ब्रेन अटैक के शिकार होने वाले 20% लोग 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। दुनिया में ब्रेन स्ट्रोक मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। मौत का पहला सबसे बड़ा कारण दिल की बीमारी है। भारत में हर वर्ष 18 हजार लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं।स्ट्रोक का मतलब है लकवा मारना, इसे पक्षाघात भी…
Read Moreटाटा जैसे लोग ही हैं वास्तव में भारत के ‘रत्न’
आर.के. सिन्हा हाल में सोशल मीडिया में चली रतन टाटा को “भारत-रत्न देने की कैंपेन अपने आप में वैसे कतई गलत नहीं थी। पर जो देशभर का रत्न हो उसे भारत रत्न या कोई अन्य पुरस्कार मिले या ना मिले, इससे क्या फर्क पड़ता है। वे तो सारे देश के नायक पहले से ही हैं। उन्हें आप नायकों का नायक कह सकते हैं। जब रतन टाटा को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग ने जोर पकड़ा तो रतन टाटा को खुद कहना पड़ा कि ‘वे अपने प्रशंसकों की भावनाओं…
Read More’75 पार’ के बाद ’65 पार’ का नारा भी हुआ धराशायी
-निर्मल रानी- देश के सभी राज्यों में भगवा परचम लहराने की लालसा पाले भारतीय जनता पार्टी को पिछले दिनों उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब भाजपा शासित एक और राज्य, झारखंड की सत्ता उसके हाथों से निकल गयी और अपने सहयोगी दलों के साथ वही कांग्रेस पार्टी फिर सत्ता में आ गयी जिसे लेकर भाजपा पूरे अहंकार के साथ ‘कांग्रेस मुक्त भारत ‘बनाने का दावा ठोकती रही है। परन्तु हक़ीक़त तो यह है कि गत दो वर्षों के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी अथवा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने…
Read Moreभाजपा की खींसकती ज़मीन, राज्यों में गंवाती सत्ता
-प्रभुनाथ शुक्ल- लोकतंत्र में जनता और उसके जनादेश का नजरिया कभी स्थाई नहीं होता। सरकारें अगर जनता के विश्वास पर खरी नहीं उतरती तो उन्हें अपनी सत्ता गंवानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में सरकारों को आम लोगों के नजरिये को गहराई से समझना चाहिए। लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। लेकिन सत्ता की अकड़ डूबोती है। झारखंड का जनादेश कम से कम यहीं संदेश देता है। सरकारों को इस भूल से निकलना चाहिए। केंद्र और राज्य की कमान एक डोर से नहीं खींची जा सकती। बदलते राजनीतिक समीकरण में भाजपा…
Read Moreअब आबादी का रजिस्टर
अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) शुरू होने से पहले ही विवादास्पद हो गया है। यह देश में रहने वाले निवासियों का राष्ट्रीय डाटा तैयार करने की रूटीन कवायद है। इसमें विदेशी भी शामिल किए जाएंगे, जो 6 माह से अधिक समय से एक स्थान पर रहते होंगे या आगामी 6 माह बसने की योजना बना रहे होंगे। आबादी के स्तर पर बदलाव स्वाभाविक हैं, क्योंकि कोई दिवंगत होता है, तो कोई जन्म लेता है, कोई कामकाज के सिलसिले में अपना पुश्तैनी घर, गांव या कस्बा भी छोड़ता है। बदलाव के…
Read Moreझारखंड के नतीजों के मायने
-सिद्धार्थ शंकर- हेमंत सोरेन झारखंड के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। रघुबर दास ने हार स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। विपक्षी गठबंधन के सामने भाजपा की रणनीति धरी की धरी रह गई और यहां तक कि पांच साल तक राज्य सरकार का चेहरा रहे रघुबर अपनी सीट भी नहीं बचा सके। इस चुनाव की अच्छी बात यह रही कि झारखंड की जनता ने इस बार भी नए सरकार के लिए स्पष्ट जनादेश दिया। जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन ने 81 सीटों की प्रदेश विधानसभा में…
Read Moreनागरिकता संशोधन अधिनियम पर भ्रम से बचें लोग
-प्रकाश जावड़ेकर- देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के संबंध में चर्चा चल रही है। गलतफहमी के शिकार लोग आंदोलन पर उतर आये हैं। कुछ राजनीतिक दल और मोदी विरोधी इसी को अवसर मानकर आंदोलन को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए वास्तविकता साफ करना जरूरी है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) दो अलग विषय हैं। आज जो भ्रम पैदा किया जा रहा है वह मुख्यतः इन दोनों विषयों को मिलाकर एक भय का माहौल अल्पसंख्यक समुदाय में पैदा करने की कोशिश की जा…
Read More(व्यंग्य) : सुन बे अल्पजीवी प्याज
-अशोक गौतम- एक हैं लोकतंत्र के नव्वाब/कल सरकारी गोदाम से/अंधेरे में कानून की आंख बचा चुराकर लाए दो किलो सड़ा स्वदेशी प्याज! नव्वाब होकर सबको खरीदा बता उसे डाइनिंग टेबल पर सजाए/गुलाब जामुन, कलाकंद पतीसा, लड्डू, पेड़े डस्टबिन गिराए/प्याज की रखवाली को जैड सुरक्षा कर्मी मंगवाए/उस वक्त नव्वाब का डाइनिंग टेबल इंद्र का डाइनिंग टेबल लग रहा था। डाइनिंग टेबल पर प्याज सजते ही/उनकी मायूस अप्सराएं सुंदर बनीं/मोहल्ले में फैली चोरे प्याज की बदबू घनी। विदेशी प्याज/अजीब दुर्गंध में बसी सुगंध/प्याज की बास प्याज हीन पूरे मोहल्ले में फैली मंद-मंद/चहकती…
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