नई दिल्ली ।देश में ऑटो बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लगा है। पिछले दो वर्ष में करीब प्रत्येक सप्ताह एक टू-व्हीलर स्टोर बंद हुआ है। जबकि पिछले दो वर्ष में घरेलू कार निर्माता कंपनी मारुति सुजकी, टाटा, महिंद्रा और होंडा को नौ से 12 डीलरशिप स्टोर बंद हुए है। निसान के 38, हुंडई के 23 स्टोर बंद हुए हैं। इसमें से सबसे ज्यादा डीलरशिप स्टोर महाराष्ट्र और बिहार में बंद हुए हैं।
इंडियन ऑटोमोटिव रिटेल क्षेत्र को इस दौरान करीब दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा 205 डीलर्स ने अपने ऑपरेशन खत्म कर दिए हैं, जबकि 300 डीलरशिप स्टोर बंद हुए हैं। इसकी वजह से करीब 3000 लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है।
जानकारों के मुताबिक ऑटो क्षेत्र में नुकसान की वजह भारतीय डीलर्स का मार्जिन रेट कम होना है।भारत में जहां मार्जिन रेट 2.5 प्रतिशत से पांच प्रतिशत है। वही वैश्विक स्तर पर डीलरशिप मार्जिन आठ से दस प्रतिशत रहा है। साथ ही रेंटल का डबल होना और कर्मचारियों की सैलरी का बढ़ना, जीएसटी के लागू होने से मार्केट पर असर पड़ा है। ऑटो क्षेत्र में बिक्री में गिरावट की मुख्य वजह सरकार की तरफ से पांच वर्ष का इंश्योरेंस अनिवार्य करना है, जो पहले जो एक हजार में हो जाता था। इसके अलावा इनवेंटरी फंडिंग भी एक वजह है, क्योंकि इसमें 45 दिनों के बाद ब्याज डबल हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि देश की सबसे अग्रणी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी के पैसेंसर व्हीकल की बिक्री मार्च में 20 प्रतिशत घट गयी है। जो पिछले आठ वर्ष में पहली बार इतनी कम है।
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