प्राचीन शिक्षा पद्धति को फिर से अपनाया जा रहा है : सुदर्शन भगत

लोहरदगा। हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति विद्यार्थियों में हुनर विकसित करने पर आधारित थी और उसी के बल पर वे अपनी आजीविका चलाते थे। कौशल के अभाव में लाखों युवा बेरोजगार हैं, लेकिन अब फिर से प्राचीन शिक्षा पद्धति को अपना कर कौशल विकास पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है।

उक्त बातें सोमवार को आईसेक्ट प्रधानमंत्री कौशल केंद्र लोहरदगा के उद्घाटन के मौके पर सांसद सुदर्शन भगत ने कही। उन्होंने इस परियोजना से महिला प्रशिक्षु के जुड़ाव का आह्वान किया ताकि वे भी अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार और समाज के आर्थिक विकास में अपना योगदान कर सकें। उन्होंने प्रशिक्षण और रोजगार के मध्य आवश्यक समन्वय को रेखांकित करते हुए केंद्र से प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध विधाओं, फिटर फैब्रिकेशन, डिस्ट्रीब्यूटर, सेल्समैन, सेविंग मशीन ऑपरेटर, डॉमेस्टिक आईटी हेल्पडेस्क अटेंडेंट महता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कौशल केंद्र पर योजना के तहत आईसेक्ट द्वारा 46 केंद्रों की स्थापना हो रही है, जो एक आदर्श और मॉडल प्रशिक्षण केंद्र के रूप में संचालित होंगे। इन प्रशिक्षण केंद्रों के अंतर्गत कुशल युवाओं को अलग-अलग विधाओं में तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें कुशल बनाया जाएगा और उन्हें रोजगार मुहैया करवाया जाएगा। संस्था के डायरेक्टर अरविंद चतुर्वेदी ने 34 वर्षों के इतिहास पर प्रकाश डाला और बताया कि आईसेक्ट अपने स्थापना काल से ही कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण और प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार पर विशेष बल देता आया है। विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से किए जा रहे हैं सामाजिक कार्यों पर भी उन्होंने परिचर्चा किया। इससे पूर्व सांसद सुदर्शन भगत ने आईसेक्ट पीएम की पुस्तिका का विमोचन किया।

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