डा जितेंद्र सिन्हा (जसलोक अस्पताल)
Hamari Sehat : जन्म के बाद यदि शिशु के सिर का उपरी हिस्सा छूने पर मुलायम लगे तो विटामिन डी की कमी समझना चाहिए.१२-१५ वर्ष के बच्चे यदि झुककर चले तो वह भी विटामिन डी के कमी की पहचान है. बढते शिशु को यदि चलने और बैठने में दिक्कत हो रही हो,वजन नहीं बढ़ रहा हो या उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी हो रही हो तो भी विटामिन डी का ईलाज करवाना चाहिए.
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विटामिन डी का सीधा सम्बन्ध बच्चों के इम्युनिटी से है। इम्युनिटी का मतलब है बच्चो का बार -बार बिमार और चिड़चिड़ा होना, इम्युनिटी कम होते ही बच्चे बिना वजह के सर्दी,खांसी और दस्त से पीड़ित रहते हैं.
बच्चे का दिमाग तेज हो इसके लिए जरूरी है कि रक्त में विटामिन डी का स्तर कम न हो .सक्रिए मस्तिष्क के लिए जरूरी है कि केमिकल सेरोटोनिन और डोपामिन का लेवल सही रहे.इसके लिए खून में विटामिन डी का स्तर सही होना जरूरी है.
विटामिन डी की कमी की पहचान बच्चों की पतली और टेढ़ी हड्डियों से भी लग जाता है.बच्चा पैर तिरछा कर के चलता हो और हलके से गिरने पर हड्डियां टुट जाती हो तो विटामिन डी के कमी का इलाज कराना चाहिए.
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विटामिन डी की कमी न हो,इसके लिए नवजात शिशु को रोज 15 मिनट बिना कपड़ों के धूप में रखना चाहिए.रोज 1 से २ ग्लास फुल फैट वाला गाय या भैंस का दूध पिलाना चाहिए.दूध से बने पनीर, चीज़, सोया दूध देनी चाहिए. दैनिक भोजन में अंडा, मशरुम और मछली शामिल करना चाहिए. चिकित्सक के परामर्श लेकर रक्त में विटामिन डी की जांच और उसकी दवा देनी चाहिए.
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