नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (डीओटी) चीनी दूरसंचार दिग्गज हुआवेई को आगामी 5जी स्पेक्ट्रम आधारित फील्ड परीक्षण के लिए पहले गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के साथ परामर्श करेगा और उसके बाद ही मंजूरी देगा। आधिकारिक सूत्रों ने यहां यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा, “यह एक सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है जो केवल दूरसंचार या प्रौद्योगिकी नहीं है, गृह मंत्रालय को भी लूप में रहना होगा और पीएमओ को भी, जिनके विचार देश की सुरक्षा से संबंधित मामलों पर बहुत महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने कहा, “इस तरह के निर्णय उचित परामर्श के साथ किए जाएंगे। हमें दुनिया भर में यह भी देखना होगा कि हुआवेई जहां भी काम कर रही है, सरकार द्वारा इस मुद्दे को कैसे संभाला गया है। यह सिर्फ एक उपकरण की आपूर्ति की तुलना में एक बड़ा मुद्दा है।” सरकार ने 5जी परीक्षणों में हुआवेई की भागीदारी पर फैसला करने के लिए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। सूत्र के मुताबिक, इस मुद्दे पर समग्र दृष्टिकोण लेने के लिए समिति की सिफारिशों को गृह मंत्रालय और पीएमओ के पास भेजा जाएगा। नए दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में कहा था, “जहां तक 5जी का सवाल है। यह केवल तकनीक से जुड़ा मामला नहीं है। इसमें सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं।” उन्होंने कहा था, “5जी परीक्षण में किसी किसी विशेष कंपनी को भाग लेने की अनुमति है या नहीं, इसमें सुरक्षा मुद्दे भी शामिल है और यह एक जटिल प्रश्न है।” हुआवेई ने मंत्रालय से स्पष्टता की मांग की है कि क्या उसे दूरसंचार ऑपरेटर के साथ फील्ड परीक्षण में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। पिछले साल अक्टूबर में शेनजेन की कंपनी हुआवेई ने कहा था कि उसे डीओटी द्वारा 5जी परीक्षणों पर चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। हालांकि एक अन्य प्रमुख चीनी कंपनी जेडटीई को आमंत्रित नहीं किया गया था। जिन तीन उपकरण विक्रेताओं को पैनल से हरी झंडी मिली है, वे सैमसंग, नोकिया और एरिक्सन हैं। परीक्षणों के लिए, जियो ने सैमसंग, एयरटेल ने नोकिया और वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) ने एरिक्सन के साथ भागीदारी की है।
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