तो क्या बंद हो जाएगी बीएसएनएल सर्विस? कंपनी ने जारी किया बड़ा बयान

नई दिल्ली इन दिनों भारी घाटे में चल रही देश की सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा आने वाले दिनों में सेवा बंद किए जाने के बीच कंपनी के प्रधान महाप्रबंधक संजय कुमार सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज किया कि बीएसएनएल की सेवा बंद करने की किसी भी योजना पर सरकार विचार कर रही है। सिन्हा ने कहा कि दूरसंचार विभाग में बीएसएनएल को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव अंतिम चरण में है इसके बाद डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन के पास इस प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। ऐसे में बीएसएनएल की सेवा को बंद करने की खबर केवल एक अफवाह है। सिन्हा ने जोर देकर कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन बीएसएनएल को मजबूत सर्विस प्रोवाइडर के रूप में देखना चाहता है जिसकी आर्थिक व्यवहारिकता हो और वो देश की सेवा में अपनी महत्तपूर्ण भूमिका निभा रहा हो। दूरसंचार मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों में बताया जा रहा है कि सरकार बीेएसएनएल की सेवा को बहाल रखने और इसकी स्थिति में सुधार करने को लेकर गंभीर प्रयास कर रही है। बता दें कि बीते कुछ सालों से बीएसएनएल घाटे में चल रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइज के गाइडलाइंस के मुताबिक किसी भी नुकसान में चल रही पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग को पुनर्जीवित करने की योजना बनाते समय उसकी सेवा को बंद करने विनिवेश और सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि जिससे जरूरी कामकाज चल सके जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जाता है। फिलहाल बीएसएनएल 3जी सर्विस ही मुहैया कराता है लेकिन फिर भी इसका मार्केट शेयर 10 फीसदी है। कंपनी को 4जी और 5जी स्पैक्ट्रम मुहैया कराने की कोशिशें भी जारी है। माना जा रहा है कि 4जी की सुविधा के बाद बीएसएनएल की सेवा कई गुना बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि बीएसएनएल में 2 लाख लोग कार्यरत है और इसलिए इसे केवल सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर देखा जाना अपने आप में गलत प्रतीत होता है। ध्यान रहे कि सरकार का सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाह करने में भी अहम भूमिका निभाती है इसलिए इसे कई बार नुकसान भी सहना पड़ता है। नेपाल भूकंप, कश्मीर में बाढ़ जैसे हालात में भी बीएसएनएल का नेटवर्क काम करता है जो सरकार के सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाने में अहम भूमिका निर्वाह करता है। इसके अलावा घने जंगलों में जहां नक्सलियों का प्रभाव ज्यादा है, वहां भी सरकारी महकमा बीएसएनएल के नेटवर्क के जरिए ही एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। यहां प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर्स की मौजूदगी बेहद कम होती है इन इलाकों में नुकसान होने के आसार अधिक होते हैं।

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