कानपुर। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को एक दिवसीय कानपुर जनपद दौरे आए। महाराजपुर स्थित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद राष्ट्रपति सिविल लाइंस स्थित डीएवी कॉलेज पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि केवल शिक्षण संस्थाएं ही देश को बदलने में अहम भूमिका अदा कर सकती हैं। शिक्षा के माध्यम से ही देश में गरीबी, अराजकता, नस्लवाद व आतंकवाद मुक्त बनाया जा सकता है। भारत रत्न व राजनीति के अजातशत्रु पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने अटलजी की एक कविता सुनाई।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सम्बोधन में मंच से कहा कि कॉलेज के छात्र रहकर शिक्षा ग्रहण करने के बाद आज जब मैं यहां आया तो गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन की शुरुआत करते हुए देश में विगत दिनों कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस घटना से पूरा देश पीड़ा में है। आतंकी घटना में कानपुर के जवानों की भी सहभागी रहें। उन शहीद जवानों को नमन करता हूं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आर्य समाज की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसने कई क्रांतिकारियों को जन्म दिया। आर्य समाज ने समाज में जागरण, देश के स्वाधीनता संघर्ष का कालखण्ड व क्रांतिकारियों की फौज खड़ी करने का काम किया। राष्ट्रपति ने बताया कि सन् 1874 में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भारत में समाज सुधार के लिए आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने एक आदर्श समाज बनाने के लिए ही डीएवी कॉलेजों की स्थापना की। आज यहां गौरवशाली शताब्दी वर्ष के समारोह में शामिल होना अद्भुत लग रहा है। यहां पर शिक्षा प्राप्त पूर्व शिक्षक व पूर्व विद्यार्थियों की सूची बहुत लम्बी भी है। उनमें से कुछ के नामों से ही पूरी परंपरा की झलक मिल जाती है। इनमें मुंशी राम शर्मा सोम एक हैं। इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, शालिग्राम शुक्ल व शिव वर्मा सरीखे स्वाधीनता सेनानियों को इस कॉलेज के शिक्षकों का भी सहयोग मिलता है। सुरेंद्र नाथ पांडेय, ब्रह्मदत्त और महावीर सिंह जैसे पूर्व विद्यार्थियों का नाम स्वाधीनता सेनानियों में आदर्श के रूप में लिया जाता है। यहां विज्ञान के क्षेत्र में आत्माराम, साहित्य के क्षेत्र में गोपालदास नीरज और आरसी वाजपेई ने डीएवी कॉलेज कानपुर का नाम रोशन किया। राष्ट्रपति ने बताया कि यहां पर एलएलबी की शिक्षा वर्ष 1965 से शुरू हुई। साल 1969 में मेरे समय में विधि की पढ़ाई भी इसी परिसर में ही होती थी। वह दौर बहुत अच्छा था लेकिन वक्त कब बीत गया पता ही नहीं चला। लेकिन मेरे जहन में आज भी उस दौर की कुछ स्मृतियां ताजा हैं। शिक्षा के दिनों में यहां के हॉस्टल का वातावरण अध्यापन की दृष्टिकोण से काफी मुफीद व शांत होता था। उन्होंने बताया कि यहां पर परीक्षा के दिनों में अध्यापन करने वाले कुछ छात्र ग्रीन पार्क स्टेडियम भी जाते थे, लेकिन क्रिकेट खेलने के उद्देश्य से नहीं बल्कि वहां पर अध्ययन करने के लिए घंटों बैठते थे। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं को कहा कि मौजूदा समय टेक्नॉलजी का समय है। समय का सदुपयोग सही से करें। प्रौद्योगिकी ने नये औजार दिए हैं उनका सदुपयोग करते हुए आगे बढ़ना है। समाज के साथ सामंजस्य रखना होगा। भारतीय मूल्यों से कल्याण सम्भव है। शिक्षा पद्धति का मूल है ज्ञान। आप सभी के लिए अनन्त दरवाजे खुले हुए हैं। आप सभी को इन सम्भवनाओं का उपयोग करना है। यहां पर राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन की समाप्ति से पूर्व कहा कि महाराजपुर स्थित ड्योढ़ी घाट के पास विपश्यना केंद्र गंगा नदी के पास प्रकृति से परिपूर्ण वातावरण के बीच बना है। उनकी अलग विशेषता हैं और आप सभी भी इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अंत में सभी को उन्होंने बधाई देते हुए विवेकानंद के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि ‘उठो जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको नही’।
ये हुए सम्मानित
राष्ट्रपति ने यहां पर कर्नल हरविंदर सिंह को वीरेंद्र स्वरुप स्वर्ण पदक, दीपक कुमार को जगेंद्र स्वरुप स्वर्ण पदक, मारिया जबीन को धार रानी स्वर्ण पदक, प्रताप सिंह को वीरेंद्र स्वरुप स्वर्ण पदक, मोहम्मद उमर हयात को धारा रानी रजत पदक, तन्मय श्रीवास्तव को जगेंद्र स्वरुप रजत पदक सहित दो अन्य छात्रों को सम्मानित किया।
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