जिसे सृष्टि चक्र का ज्ञान, वह जीवन में प्राप्त कर सकता है सर्वोत्कृष्टता : निर्मला बहन

रांची । ब्रह्माकुमारी संस्थान की संचालिका निर्मला बहन ने कहा कि अपने जीवन में वह व्यक्ति सर्वोत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है, जिसे सृष्टि चक्र या कालचक्र में अपने सर्वोत्तम समय और पात्रता का ज्ञान हो। उन्होंने कहा कि इस सृष्टि के हर मानव के लिए चाहे वह छोटा कर्मचारी है, अथवा प्रशासक समय चक्र का ज्ञान अत्यन्त आवश्क है। निर्मला बहन रविवार को हरमू स्थित संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थी।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार व्यक्ति की आयु की सीमा और जीवन मृत्यु का एक निश्चत चक्र है। उसी प्रकार रात और दिन, यहां तक युगों का आना और जाना सभी कुछ निश्चत समयानुसार अथवा कालचक्र के अनुरूप होता है। समय का यथार्थ सदुपयोग तभी संभव है, जब भूत, भविष्य, वर्तमान तीनों ही समय की स्थिति व परिस्थिति का पता हो। 

उन्होंने कहा कि गीता ज्ञानदाता परमात्मा ने सभी मानव आत्माओं को समय चक्र और वर्तमान समय का यथार्थ ज्ञान दिया है, जिसके अनुसार यह सृष्टि चक्र पांच हजार वर्ष और पांच युगों का चक्र है। हर युग बराबर-बराबर समय सीमा में विभक्त है। परन्तु सतयुग से लेकर कलियुग के अन्त तक समय परिवर्तन के साथ व्यक्तियों के संस्कार, संस्कृति, धर्म और आस्था, अवस्था और व्यवस्था सभी कुछ निरंतर बदलते रहते हैं। परिवर्तन की इस तीव्र प्रक्रिया में व्यक्ति इतना बदल गया है कि वह अपना मौलिक और सत्य स्वरूप, धर्म और कर्म सभी कुछ भूल गया है। 

उन्होंने कहा कि इस कालचक्र में सतयुगी व्यवस्था ही सर्वश्रेष्ट व्यवस्था और स्वर्णकाल है। इसके विपरीत कलियुग, समय चक्र का तमोप्रधान लोह तुल्य युग है, जिसमें मानवों का नैतिक, चारित्रिक, आर्थिक, राजनैतिक हर दृष्टि से अद्योपतन हो चुका है। इसी कारण व्यक्ति चिन्ता, भय, तनाव और अभाव से पीड़ित है। इस समय राजनैतिक अस्थिरता, आतंक और भय, परमाणु युद्ध और जैविक युद्ध के खतरे समूची मानवता पर मंडरा रहे हैं। ऐसे समय में नित्य राजयोग और आध्यात्मिक ज्ञान के अभ्यास द्वारा वर्तमान में भी तनावमुक्त जीवन विता सकते हैं।

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