खूंटी । राज्य सरकार जंगल की सुरक्षा करने वाले वनपाल और वनरक्षियों का शोषण कर रही है। रघुवर सरकार वनकर्मियों के धैर्य की परीक्षा न ले। इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। यह बातें झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद ने कहीं। प्रसाद रविवार को वन प्रक्षेत्र कार्यालय खूंटी में आयोजित संघ के अधिवेशन के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार वनपाल और वनरक्षियों को न तो रहने की सुविधा दे रही है और न ही चलने की। उन्हें मोबाइल और बाइक तक की सुविधा नहीं दी गयी है।
वनपालों और वनरक्षियों को अपना पेट्रोल खर्च कर अपनी गाड़ी से वन क्षेत्र में भ्रमण करना पड़ता है। यहां तक कि उनसे ड्यूटी के दौरान अपना निजी मोबाइल फोन इस्तेमाल करने को कहा जाता है। शैक्षणिक योग्यता के अनुसार वेतन भी नहीं दिये जा रहे हैं। साथ ही बिना ट्रेनिंग दिये ही जंगल में ड्यूटी करने भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि संघ सरकार से मांग करता है कि वनकर्मियों को भी मान-सम्मान मिले और हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार न किया जाए।
व्यवस्था में सुधार कर वनपाल-वनरक्षियों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार वेतन दिया जाए और पेट्रोल-मोबाइल फोन का खर्च दिया जाए। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अपने हक अधिकार और मान-सम्मान के लिए हमने जो आंदोलन शुरू किया है, वह तब तक जारी रहेगा, जब तक वनपाल-वनरक्षियों का शोषण बंद नहीं हो जाता। मौके पर सहायक वन संरक्षक अर्जुन बड़ाईक, प्रदेश उपाध्यक्ष रामविलास, वन क्षेत्र पदाधिकारी रामेश्वर प्रसाद, सुनील प्रसाद, बटेश्वर प्रसाद, अमर स्वांसी, सुनीत टोपनो, हरेंद्र सिंह, कुलदीप सिंह, पंकज सिन्हा, नितेश कुमार केशरी आदि उपस्थित थे।
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