(व्यंग्य) जय जवान जय किसान

-शशिकांत सिंह ‘शशि’-

हे सैनिक वीरों! यह देश आपकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है। आप देश के लिए शहीद हो जायें। शून्य से नीचे जब पारा जा रहा हो तो आप मन दो मन के कपड़े पहनकर..’यस सर….यस सर’ कहते हुये, यह मानकर अपना सीना आगे किये रहें कि एक न एक दिन या तो गोली लगेगी या मेडल मिलेगा। आप सच्चे देशभक्त हैं। आप कभी न सोचें कि आपके घर में एक जवान बहन है जिसकी शादी नहीं हुई। एक बूढ़ा बाप है जिसका आपके बाद कोई सहारा नहीं है। पत्नी है जो आपके शहीद होने के बाद वीरांगना कहलायेगी और हम उसके चरण पूजेंगे। मीडिया के सामने यशगान करेंगे। फूलमाला आपके पार्थिव शरीर पर चढ़ायेंगे। आपकी शहादत को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे। आपकी शहादत पर हमें कौन सा भाषण देना है वह भी लिख रखा है। लिखा तो नहीं लिखवाया ही है। हमारे पास तो, आपको पता ही है कि समय की कमी रहती है। पांच सितारा होटलों में मीटिंग। सुरा-सुंदरी को प्रोत्साहन। देशभक्ति-शिविर के उद्घाटन। वोट-खसोट की तैयारी। न मरने की फुसर्त न जीने का आनंद। यू ंतो हम भी परले दर्जे के देशभक्त हैं। देशभक्ति के लिए तिरंगा यात्राएं आयोजित कराते हैं। आगरा से लेकर घाघरा तक की यात्रा करते हैं। यही निरापद क्षेत्र है। मन में तो आया कि एक बार तिरंगा लेकर कारगिल जायें लेकिन क्या पता पाकिस्तान कोई गोली ही चला दे। आजकल हालात वहां अच्छे नहीं है। मजबूरन हमें जे एन यू जाना पड़ा।

हमारे एक जवान  ने आत्महत्या कर ली। हमें अपार दुःख है। उससे भी अपार दुःख है कि उनकी मौत पर विपक्षी पार्टी वाले राजनीति करने लगे। राजनीति करने का हक केवल हमारा है। ओ आर ओ पी जैसे मामले पर जब पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे तो हमने अपना सीना रूई से ठोका कि नहीं ? हमने ओ आर ओ पी के नाम पर उन्हें झुनझुना पकड़ाया कि नहीं ? मित्रों हमने पहले ही फरमाया कि हम परले दर्जे के देशभक्त हैं। हमारी देशभक्ति पर किसी ससुर को शक करने का हक नहीं है। नहीं तो परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हां, तो बात हो रही थी सैनिकों की। हे वीर सैनिकों, आप चिंता न करें हमने अपने मंत्रालयों को कह रखा है कि मुआवजे की मोटी रकम तैयार रखें।

जवान शहीद हो और तत्काल मुअवाजे की घोषणा कर दी जाये। मुआवजे में देरी से वोट पर असर पड़ते हैं। आपके पार्थिव शरीर को सरहद के घर लाने के लिए हमने अत्यंत कीमती ताबूत बनवाये हैं। उस पर बेल बूटे तो ऐसे हैं कि मरकर भी आप खुश हो जायेंगे। लकड़ी तो चंदन की है जिसकी आपने कल्पना तक नहीं की होगी। हमने कहा न कि आपकी शहादत बेकार नहीं जायेगी। हमने तो तय कर रखा है कि आपके शहीद होते ही आपकी विधवा को स्कूल में किरानी की नौकरी दे देंगे। बेचारी अपना भरण-पोषण तो कर लेगी। हां, आपके पिता के लिए हम कुछ नहीं कर सकते। तकनीकी मामला है। उनकी चिंता आप न करें। साल दो साल के मेहमान हैं। ईश्वार जो करता है अच्छा ही करता है। आप बस देश के लिए शहीद होने की चिंता करें। बाकी चिंताएं हम पर छोड़ दें।

हमने तो फिल्म वालों को भी कह रखा है कि एक-दो शहादत वाली फिल्में बना दें ताकि जवानों की शहादत बेकार न जाये। शहादत बेकार कभी नहीं जाती दोस्तों, यह सबके काम आती है। लेखक शहीदों की कहानियां लिखेंगे। कलाकार मुर्तियां बनायेंगे। चौराहों पर लगाने के लिए। राजनीति के लिए तो शहादत मुफीद है ही। जो लोग कभी किसी की शहादत में कंधा देने नहीं गये वे लोग विवाद की संभावना देखते ही कूद कर जायेंगे। मीडिया वालों के कैमरे चमकेंगे। टी वी पर बहस होगी। विवाद-प्रेमी भक्तगण पुतले तैयार रखेंगे फूकने के लिए। किसी भी वक्त किसी के भी पक्ष में नारे लगाने वाली सेना अपना करेगी। सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जायेगी।

हे वीर किसानों तुम अभी तक जिंदा हो !! तुम्हारे साहस को सलाम। साठ साल नहीं मरे तो साठ महीने जी कर दिखाओ। चुनौती है तुम्हारे लिए। तेल, खाद, पानी सब महंगा हो गया है फिर यदि आत्महत्या करोगे तो कायरता ही होगी। हमारा क्या बिगड़ेगा। हम तो चौबीस घंटे मुआवजा तैयार रखते हैं। हम साबित ही नहीं होने देंगे कि तुम भूख से मरे। हमारा कल्कटर कह देगा कि जांच के बाद पाया गया कि भूख का कारण पेट की अंतड़ी में फंसी आम की पुरानी गुठली थी। हम आपके मरने के अन्य साधनों पर विचार कर रहे हैं आप कृप्या भूख से न मरें।

हम शहर को स्मार्ट कर रहे हैं। वह धीरे-धीरे गांवों को निगल ही जायेगा। आप अपने आप स्वाहा हो जायेंगे। कष्ट करने की जरूरत नहीं है। हमने तो नाना प्रकार के ऐप्स आपके लिए मार्केट में छोड़ रखे हैं। आपको ऑनलाईन मार्केटिंग की सुविधा दी है। गांवों में बिजली आये न आये आप दस हजारी मोबाइल खरीदकर। हमारी नीतियों का लाभ उठा सकते हैं। एंड्रायड मोबाइल तो काफी सस्ता हो गया है तीन हजार से पचास हजार तक का ले लीजिये। रही बात आपके नंगे बदन और भूखे पेट की तो उसे भगवान पर छोड़ दें। उसके लिए अभी तक कोई ऐप्स विकसित नहीं हुआ है। आपकी मौत भी बेकार नहीं जायेगी। उसपर भी हम जुलूश निकालेंगे, धरना-प्रदर्शन का आयोजन करेंगे, टी वी पर बहसें होंगी। किसानों पर कविताएं लिखी जायेंगी। टी वी सीरियल बनेंगे। सिनेमा तो अब  किसानों पर बनते नहीं हैं फिर हमारी कोशिश होगी कि आपकी मौत का ज़ाया न होने दें। किसी फिल्म वाले से बात करनी होगी।

हे जवानों और किसानों हमारी कोशिश है कि इसी सत्र में एक सामुहिक रूदन बिल पेश करें और पास करायें। कानून बन जायेगा कि जब भी कोई जवान शहीद हो उसपर सारा देश एक घंटे तक सामुहिक रूदन प्रस्तुत करें। ऐसा नही ंकरने वाले को पकिस्तान भेज दिया जायेगा। किसानों को भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। आत्महत्या करने की स्थिति में आप इस लाभ से वंचित रह सकते हैं। सारा देश आपके साथ है। जय जवान-जय किसान।

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