राजीव गांधी हत्याकांड : 27 साल से कैद नलिनी को बेटी की शादी के लिए मिली पैरोल

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में वेल्लोर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट ने एक महीने की पैरोल दे दी। 27 साल से जेल की सलाखों के पीछे कैद नलिनी के लिए यह पहला साधारण पैरोल है। पैरोल के मामले में वह न्यायालय में पेश हुई। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार की खंडपीठ ने तमिलनाडु सरकार को उसकी रिहाई की प्रक्रिया को दस दिनों के भीतर अंतिम रूप देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने नलिनी को यह भी आदेश दिया कि पैरोल पर बाहर रहने के दौरान वह कोई भी साक्षात्कार न दे और किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से न मिले। नलिनी ने अपनी बेटी की शादी की तैयारी के लिए छह महीने की साधारण छुट्टी के लिए एक याचिका दायर की थी। इस पर बहस के दौरान उसे 25 जून को न्यायालय में पेश होने की अनुमति दी गई थी। जेल में पैदा हुई उसकी यह बेटी अपनी हायर एजुकेशन की पढ़ाई पूरी कर चुकी है, जो अपने दादा-दादी के साथ विदेश में रहती है। नलिनी का पति मुरुगन उर्फ ​​श्रीहरन भी वेल्लोर सेंट्रल जेल में बंद है। 25 फरवरी और 22 मार्च को पैरोल के अनुरोध पर राज्य के अफसरों द्वारा विचार नहीं करने पर उसने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। नलिनी ने दलील दी कि वह पिछले 27 साल से जेल में बंद है। उम्रकैद की सजा पाने वाले किसी भी कैदी को दो साल में एक महीने का अवकाश लेने का अधिकार है, लेकिन उसने 27 साल तक जेल में बंद रहने के बावजूद इस सुविधा का कभी लाभ नहीं लिया। उसने कहा कि उसे अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए छह महीने की छुट्टी दी जाए। अपनी रिट याचिका में नलिनी ने दावा किया था कि उसे मौत की सजा सुनाए जाने के बाद उम्रकैद सजायाफ्ता लगभग 3,700 कैदियों, जिन्हें 10 साल की कैद या कम की सजा सुनाई गई थी, तमिलनाडु सरकार रिहा कर चुकी है। नलिनी ने कहा, “उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई की 1994 की योजना के तहत समय से पहले रिहा करने के मेरे अनुरोध को राज्य मंत्रिपरिषद ने 9 सितम्बर 2018 मंजूरी दी थी और मामला राज्यपाल को भेज दिया था। उसमें मुझे और अन्य छह उम्रकैद सजायाफ्ता कैदियों को रिहा करने की सिफारिश की गई थी। इस मामले में छह महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद राज्य सरकार के निर्णय को अभी तक लागू नहीं किया गया।” तमिलनाडु सरकार ने 24 अप्रैल 2000 को नलिनी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। एआईएडीएमके के नेतृत्व वाली सरकार ने तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सात दोषियों- मुरुगन, संथान, पेरारतन, जयकुमार, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और नलिनी की रिहाई की सिफारिश की थी, जो उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कहा था कि उनकी सरकार दोषियों की रिहाई के लिए प्रतिबद्ध है। उन्हें उम्मीद है कि राज्यपाल उन्हें मुक्त करने के लिए कैबिनेट की सिफारिश पर काम करेंगे। उल्लेखनीय है कि 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान लिट्टे के आत्मघाती हमलावरों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी।

This post has already been read 8810 times!

Sharing this

Related posts