जम्मू । कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए रविवार को पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटा ली। इसके साथ इनकी सुरक्षा हटाने की जो मांग देश के विभिन्न हिस्सों से उठ रही थी, वह भी पूरी हो गई।
राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर यह कठोर कदम उठाया है। जिन हुर्रियत और अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली है उनमें हुर्रियत कांफ्रेंस (एम) के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह के नाम शामिल हैं। सरकार के इस फैसले के बाद इन अलगाववादी नेताओं को मुहैया कराई गई सुरक्षा और सभी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी।
अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है और इनकी सुरक्षा वापस लेने की लोगों द्वारा कई मौकों पर मांग की जाती रही है। इसके अलावा राज्य विधानसभा में भी इनकी सुरक्षा पर होने वाले खर्च को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सरकार के इस फैसले में पाकिस्तान समर्थक कट्टरवादी धड़े जमात-ए-इस्लामी के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है। सूत्रों का कहना है कि उनके पास पहले से ही कोई सुरक्षा नहीं है। सरकार के इस निर्णय के बाद अब अलगाववादियों और उनके समर्थकों में खलबली मच गई है।
इन अलगाववादी नेताओं को राज्य सरकार ने करीब 10 साल पहले सुरक्षा मुहैया कराई थी, जब ये नेता कथित तौर पर आतंकियों के निशाने पर आए थे। सरकार के इस आदेश के बाद इन्हें राज्य सरकार की ओर से मिली गाड़ियां, कारें वापस ले ली जाएंगी। बताया जा रहा है कि पुलिस अन्य अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा की भी समीक्षा करेगी और उनकी भी सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं वापस लेने का फैसला किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग उठी थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 फरवरी को ही कहा था कि इन नेताओं की सुरक्षा वापस ली जाएगी। गृह मंत्री ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ तत्वों का आईएसआई और आतंकी संगठनों से नाता है और उनको उनसे पैसा मिलता है, इसलिए इनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए।
पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि आतंकी आदिल डार ने इस हमले को अंजाम दिया था। पिछले कई वर्षों से अलगावादी नेता कश्मीर घाटी में अलगाववाद व आतंकवाद को बढ़ावा देते आ रहे हैं।
This post has already been read 14493 times!