अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में तीव्र विकास के लिये एक दशक तक 30 अरब डालर सालाना निवेश की जरूरत: समीक्षा

नई दिल्ली। देश में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से विकास के लिये अगले एक दशक और उसके बाद लगभग 30 अरब डालर सालाना निवेश की आवश्यकता होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम लागू करने वाले देशों में शामिल हैं और नवीकरणीय ऊर्जा की कुल स्‍थापित क्षमता (25 मेगावाट से अधिक पनबिजली को छोड़कर) 31 मार्च, 2014 के 35,000 मेगावाट से दोगुनी से भी अधिक होकर 31 मार्च, 2019 तक 78,000 मेगावाट के स्‍तर पर पहुंच गई है। सरकार ने वर्ष 2022 तक 1,75,000 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्‍थापित करने का लक्ष्य रखा है। निवेश के बारे में समीक्षा में कहा गया है, ‘‘वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के संयंत्रों (बिना पारेषण लाइन के) में अतिरिक्‍त निवेश आज के मूल्‍यों पर लगभग 80 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा और वर्ष 2023 से लेकर वर्ष 2030 तक की अवधि के दौरान तकरीबन 250 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्‍यकता होगी। इस प्रकार, सालाना आधार पर अगले दशक के दौरान एवं उसके बाद 30 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक के निवेश के अवसर हैं।’’ समीक्षा में कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा पर जोर के साथ अब विश्‍व स्‍तर पर भारत पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पांचवें और नवीकरणीय ऊर्जा की समग्र स्‍थापित क्षमता के मामले में पांचवें पायदान पर पहुंच गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा क्षमता में कई गुना वृद्धि हुई है पर कोयला और अन्य ईंधन पर आधारित बिजली संयंत्र ऊर्जा के प्रमुख स्रोत बने रहेंगे। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत एक महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्रीय संसाधन है। इन संसाधनों का उपयोग ऊर्जा सुरक्षा, एक मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था और जलवायु परिवर्तन में कमी के साथ ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने और सामाजिक समानता हासिल करने संबंधी भारत के दृष्टिकोण का एक हिस्‍सा है।’’ समीक्षा के अनुसार वैसे तो ऊर्जा तक लोगों की पहुंच बढ़ाना आवश्‍यक है, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि विकसित देशों में इस वजह से पर्यावरण को ऐतिहासिक रूप से हुई भारी क्षति के बजाय यह देश में पर्यावरण को अपेक्षाकृत कम नुकसान के साथ हासिल हो।

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