नवरात्रि के चौथे दिन होगी मां कूष्मांडा की आराधना

रांची। नवरात्रि के चौथे दिन बुधवार को मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जायेगी। माना जाता है कि मां कूष्मांडा की उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। देवी कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े। मां को बलियों में कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। 

ऐसा है मां का स्वरूप:

कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है और इनकी भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।

मंत्र: 

या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: देवी योग-ध्यान की देवी भी हैं।

आज हुई मां चंद्रघंटा की पूजा

मंगलवार को नवरात्र के तीसरे दिन पूरे विधि-विधान के साथ मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की गई। मां चंद्रघंटा का यह स्वरूप बेहद सुंदर, मोहक, अलौकिक कल्याणक शांतिदायक है। माता चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्रमां विराजमान है, जिस कारण इन्हें चंद्र घंटा के नाम से जाना जाता है।

This post has already been read 8233 times!

Sharing this

Related posts