अजय वर्मा (Ajay Verma)
झारखंड का सबसे ऊंचा हुंडरू जलप्रपात रांची के स्वर्णरेखा नदी में है। जलप्रपात हुंडरू नामक गांव में बना है । इसलिये इस जलप्रपात का नाम हुंडरू जलप्रपात है। यहां का माहौल बिल्कुल गांव वाला है । आज भी यहां गांव का ही अहसास होता है । सरकार द्वारा नियुक्त पर्यटक मित्रों की सक्रियता के कारण यह जल प्रपात और इसका पूरा परिसर इतना स्वच्छ और शांत है कि इसे देखने बार-बार आने को जी चाहता है। फॉल तक जाने के लिये सरकार द्वारा टैक्स वसूलने के लिये एक गेट बना है । तय प्रक्रिया पूरी कर ज्योंही अंदर प्रवेश करते है, बड़ा ही सुकून मिलता है ।
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पूरा परिसर सफाई के मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि इस परिसर को सिर्फ आपके आगमन की ही प्रतीक्षा थी और आप पहुंचे नहीं कि पूरे परिसर को आपके लिये बुहारा गया हो। न कहीं एक टुकड़ा कागज न अन्य पर्यटन स्थलों में जहां -तहां बिखरे प्लास्टिक की बॉटल ,या कुरकुरे के खाली पैकेट नजर आता है । हर जगह उभरे पत्थरों पर बैठ जाने का मन करता है। प्लास्टिक की छत से बने होटलों में बैठ कर चाय व नाश्ता करने का अलग ही आनंद मिलता है। वहीं इन होटलों के बीच बने सरकारी रेस्टूरेंट अपनी व्यवस्था-अवस्था के कारण पर्यटकों से उपेक्षित आंसू बहाता नजर आता है । मुख्य गेट से लेकर जलप्रपात तक कहीं भी शौचालय नजर नहीं आता है। मजबूरीवश खासकर महिलाएं इत्मीनान होने के लिये इस रेस्टूरेंट के शौचालय का प्रयोग करती हैं।
यह कमी काफी खलती है । सरकार ने इस पर्यटन स्थल को संवारने में कोई कमी नहीं की है , पर इसे संवारने के लिये नियुक्त नीति नियामकों को शायद आम पर्यटकों को भी शौचादी की जरूरत पड़ती है यह भान ही नहीं हुआ होगा , बावजूद इसके मुख्य गेट से जलप्रपात तक शौचादी का भोंडा प्रर्दशन नहीं होता। यह पर्यटकों की सुचिता पर अभिमान व गर्व महसुस कराता है,पर इसकी कमी काफी खलती है। मुख्य गेट घूसने के बाद पचास फीट पर दाहिनी ओर करोड़ों रूपया खर्च कर एक विशाल स्ट्रक्चर बना हुआ है । इसकी छत पर मोटरसाइकिल स्टैंड बना हुआ है या यूं कहें कि लोग करोडों की लागत से बने इस स्ट्रक्चर पर पर्यटक अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करते हैं । छत के नीचे कई दुकानें या फिर सैकडों की संख्या में कारें पार्क की जा सकती है , पर यह स्ट्रक्चर डेड एसेट बना हुआ है। सरकारी रेस्टुरेंट के सामने दो रास्ते है। दाहिने तरफ बढ़ेंगें तो जलप्रपात का दर्शन 748 सीढ़ियों उतरने के बाद होगा इन सीढ़ियों को उतरने के पहले भी एक गेट बना है, जहां कुछ सरकारी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है तब आपके लिये जलप्रपात तक पहुंचने के लिये गेट खुलेगा।
इस गेट के ठीक पहले बच्चों के खेलने या मनोरंजन के लिये पार्क बना है। बच्चे अपनी मनोनुकुल लांघने , झूलने,छल्लांग लगाने व कई तरह के खेल के लिये लकडंÞी के बने उपस्करों का प्रयोग करते हैं । बच्चों के खेलने के लिये बने इस परिसर को घेर दिया गया है। बच्चे खेलने को मौजूद रहें तभी खोला जाता है । यहां खेलना शुरू करने पर कोई भी बच्चा जल्दी इस खेल परिसर को छोड़ना नहीं चाहता है। चढ़ते- चढ़ते पर्यटक चाहे जिस भी उम्र के हो थक जाता है । इस बीच रास्ते भर शर्बत, चाय, पानी व नाश्ते के लिये पर्णकुटीर बने हुये है , जहां नाश्ते से अधिक होटलों की बनावट पर्यटको को रिझाती है । रिझाती तो सीढ़ियां भी हैं, जहां थके न भी हों तो भी उनमें बैठ कर अलग -अलग अंदाज में सेल्फी व फोटोग्राफ्स खिंचवानें में अच्छा लगता है। उन सीढ़ियों के चढ़ने और उतरने में बच्चे ,महिलाएं ,जवान व उम्रदराज पर्यटक भी बांस के लाठी का सहारा लेते हंै और साथ ही सीढ़ियां उतरने- चढ़ने का उपक्रम मजेदार होता है । कोई शौक से इन डंडों का सहारा लेता है, तो कोई उन डंडों को बेचने वाले भोली-भाली लोगों को कुछ रूपया मिल जाए , इस खातिर भी डंडा खरीदते हैं । लंबाई व मोटाई के अनुसार इन डंडों की कीमत 10-20 रूपये होती है।
जल प्रपात पहुंचते ही बहुसंख्यक पर्यटक इन डंडो को फेंक देते है, जिसे पुन: बेचने वाले उठा कर ले जाते है और दुबारा बेच देते हंै । वहीं कुछ पर्यटक इसे हुंडरू की याद संयोजने के लिये घर ले जाते हैं। जलप्रपात की मुख्य दह जो बडेÞ से तालाब की शक्ल में है वहां सामान्य दिनों में नाव भी चलाया जाता है । किशोरवय लोगों को नौका विहार खुब भाता है । नौका जब जलप्रपात के निकट से गुजरता है तो पर्यटक पानी के छींटे से भींग जाते है । भींगने के लिये पर्यटक बार-बार प्रपात के आस पास जाने का प्रसास करते हंै। इस दह के उपर सीलांग में बने एलिफेंटा जलप्रपात की तरह पुल बना दिया जाय ,तो निश्चित रूप से पर्यटक यहां आने के लिये और भी उत्सुक होगा। जिन्हें सीधे पानी में नौका विहार करने में झिझक हो वह दह पर बने पुल से ही पानी के छींटों से भींगने का आनंद उठा पाएगें । पर्यटक बढ़ेगें और सरकार का राजस्व व आस -पास के ग्रामीणों में रोजगार में भी बढ़ोत्तरी होगी ।
सरकारी रेस्टूरेन्ट के बगल में जलप्रपात के इस पार से उस पार तक जाने के लिये झूला बना हुआ है । झूला इस तरह से बना हुआ है कि पर्यटक के स्वर्णरेखा नदी के आर-पार होने में कोई अतिरिक्त र्इंघन की जरूरत नहीं होती है । हुक से बेल्ट में पर्यटकों को झूला दिया जाता है और बिना अतिरिक्त संसाघन और ताकत लगाये वह आर-पार हो जाता है । इसे सरकार ने बनाया है ,पर संचालन की जिम्मेवार किसी ठेकेदार को दी गयी है । हुंडरू बाबा स्थल व रांची के अपर बाजार के थोक विक्रेता द्वारा द्वारिकाधीश के पूर्वजों द्वारा बनाया शिव मंदिर भी काफी विख्यात है । हुडंरू बाबा में मन्नत मांगने वालों की मनोकामना पूरी होती है । मनोकामना पूरी होने पर भक्त बकरा की बली देते है । मनोकामना पूरी होने पर बकरा बली तो दी ही जाती है, साथ ही बच्चे का मुंडन भी कराया जाता है। सालों भर हुंडरू बाबा के यहां बकरों की बली देने का सिलसिला चलता रहता है । साल में एक दिन 15 जनवरी जब यहां मकर संक्राति का मेला लगता है उस दिन काफी संख्या में 250-300 तक बकरों की बली दी जाती है ।
वहीं द्वारिकाघीश वस्त्रालय के पूर्वजों द्वारा बनायी गई शिव मंदिर में बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से लोगों को काफी सुकून मिलता है । इस मंदिर का पुजारी हुंडरू गांव से पहान परिवार में से ही कोई होता है । पहले यहां लंगड़ा नाम का साधू ही पूजा करते थे , अब गांव के ही पाहन परिवार से इस मंदिर का पुजारी होता है । इस क्षेत्र के लोग जब भी कोई नयी वाहन की खरीद करते हैं, तो वाहन की यहीं पर पूजा करायी जाती है । साघुओं के अनुसार आज भी द्वारिकाधीश वस्त्रालय के परिवारों पर कोई संकट आता है ,तो पूरा परिवार इस मंदिर में बाबा की पूजा करने यहां आते है । रांची रेलवे स्टेशन से 45 किलोमीटर दूर अनगड़ा प्रखंड के उत्तर की ओर हुंडरु जलप्रपात स्थित है । हुंडरू जलप्रपात डेढ़ सौ एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
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यहा अनेकों मनोरम दृश्य देखने के लिए हैं। जलप्रपात का नामकरण के पीछे ऐसी लोगों की मान्यता है कि हुंडरू नामक एक अंग्रेज आए थे। वह नागमणि की तलाश में सालों भर इसी स्थान पर नाग मणि प्राप्ति की चेष्टा करते रहें। लेकिन उन्हें असफलता ही हाथ लगी और एकाएक बीमार हो जाने के कारण उनकी अल्पायु में ही मृत्यु हो गई । क्योंकि वह एक खोज करता थे इसलिए अंग्रेजों ने इस स्थान का नाम हुंडरु रखा ताकि वे मरकर भी अमर रहे और उनके नाम से यह स्थान जाना जा सके तो आज हुंडरू जलप्रपात के नाम से विख्यात है । जलप्रपात देखने के लिए 748 सीढ़ियां उतरने के बाद 343 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए जलप्रपात के पानी कहीं नाग सांप की तरह लगता घूमता सिंह की तरह दहाड़ता धार मारता । यह मनोरम दृश्य अपनी और हमें आकर्षित करता है स्वर्णरेखा नदी पर हुंडरू जलप्रपात अवस्थित है। हुंडरू जलप्रपात में और ही चार चांद लग जाती लेकिन गेतलसूद डैम में पानी को रोककर पन बिजली का निर्माण इसी जल से किया जाता है । यह भी पर्यटकों को अपनी ओर ध्यान आकर्षित भी करता है।
बाघ की गुफा
हुंडरू जलप्रपात से 100 फीट की दूरी पर एक प्राचीन बाघ की गुफा है। इस गुफा में 10,000 से अधिक लोगों को अंदर चले जाने के बाद भी अत्याधिक जगह खाली रह जाता है । गुफा में पुराने जमाने का चिन्ह निर्मित कुआ भी है । यह गुफा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
आगमन की सुविधा
पर्यटक अपने निजी वाहन व भाड़े के वाहन से ही इस जलप्रपात पर्यटन स्थल आ सकते हैं । यहां कोई दूसरी सुविधा उपलब्ध नहीं है ।
पर्यटकों की असुविधा
हुंडरू जलप्रपात पर्यटन स्थल में पेयजल की घोर किल्लत है । पेयजल नहीं रहने से शौचालय प्याऊ बाहर से आए पर्यटकों को पानी पीने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जलप्रपात पर्यटन स्थल के समीप पार्किंग स्थल की असुविधा है । रेस्टोरेंट में ठहरने की समुचित व्यवस्था नहीं है ।
होटल व रेस्टोरेंट
हुंडरू जलप्रपात पर्यटन स्थल में झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड पर्यटन विभाग के द्वारा हुणडरु बिहार रेस्टोरेंट पर्यटकों को ठहरने खाने के उद्देश्य 2007 में बनाया गया था। लेकिन जेटीडीसी द्वारा अभी तक इस रेस्टोरेंट में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिससे पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । बीच-बीच में जेटीडीसी के द्वारा निजी एजेंसियों को इसकी संचालन के लिए दिया गया जिसमें फ्रंटलाइन प्रमोटर प्राइवेट लिमिटेड रांची के द्वारा संचालित किया जा रहा था । उसकी साफ-सफाई और व्यवस्था सही तरीके से नहीं करने पर झारखंड टूरिज्म के द्वारा इनकी एकरनामा 06. 12 .018 को ही रद्द कर दिया गया था। लेकिन जेटीडीसी की मिलीभगत से इस एजेंसी के संचालक द्वारा अभी तक चलाया जा रहा था । इसके संचालन पर झारखंड सरकार के सचिव सुनील कुमार वर्णवाल व रांची उपायुक्त ने नाराजगी जता चुके थे 1 साल तक की संचालक द्वारा चलाया गया बीच-बीच में साफ -सफाई व्यवस्था को लेकर उठे विवाद के बाद जेटीडीसी की नींद खुली और 26 10 2019 को महावीर इंटरप्राइजेज हजारीबाग को संचालन के लिए दे दिया गया।
एडवेंचर पार्क
हुंडरू जलप्रपात पर्यटन स्थल में झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से एडवेंचर टूरिज्म के तहत एडवेंचर पार्क व जिप लाइन एवं लोरो कोर्स एडवेंचर का निर्माण 15 अगस्त 2019 को किया गया है । जिपलाइन का निर्माण एक्स लिमिट्स वर्ल्ड प्राईवेट लिमिटेड ने किया है। झारखंड में पहली बार हुंडरु, जोन्हा व पंचधाध जलप्रपात में एडवेंचर पार्क व जीप लाइन एडवेंचर बनाया गया है। हुंडरु जिपलाइन जिसकी लंबाई लगभग 200 मीटर है जिप लाइन के निर्माण से पर्यटक जलप्रपात की ऊपरी भाग से स्वर्णरेखा नदी के इस पार से उस पार जाकर फॉल के मनोरम दृश्य का आनंद उठा रहे हैं । इसके निर्माण से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है । जेटीडीसी का राजस्व भी बड़ा है। हुंडरू जलप्रपात पर्यटन स्थल में प्रवेश टिकट एवं पार्किंग टिकट भी ली जाती है। प्रवेश टिकट प्रति व्यक्ति 7रूपया, तीन चार पहिया वाहन 25रूपया, दोपहिया वाहन 12रूपया, बस 100रूपया पार्किंग झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड रांची के निर्देशानुसार जलप्रपात पर्यटन स्थल पर ली जाती है। वर्टिकल लैडर ,हॉरिजॉन्टल लैडर,ड्रम एक्टिविटी,टायर स्विंग,टायर क्रॉसिंग,क्रॉस लैडर,वर्टिकल लॉग,डंबेल वॉक ,स्विंगिंग लैडर, क्लाइंबिंग नेट,स्केट बोर्ड,मिनी जिपलाइन,स्विंगिंग लॉग लो रोप कोर्स में ऊपर बतायी 14 एक्टिविटीज है। पर्यटन विभाग लगभग पांच करोड की लागत से हुंडरु जलप्रपात पर्यटन स्थल में ग्रामीणों व स्थानीय दुकानदारों के लिए शॉपिंग कियोस्क 14 ,फुट कियोस्क 6,पर्यटकों के सुविधा के लिए शौचालय एक बैठने के लिए गजिबो 8,पर्यटक सूचना केन्द्र एक टिकट काउंटर एकए रेस्टोरेंट के ऊपर कैफे एक, तेज इंटरप्राइजेज रांची के द्वारा बनाई जा रही है।
पर्यटन मित्रों की समस्याएं
हुंडरू, जोन्हा, सीता, दशम, हिरणी व पंचघाघ जलप्रपात पर्यटन स्थल में वर्ष 2009 से 93 पर्यटक मित्र कार्यरत हैं। पर्यटन स्थल की साफ-सफाई देखरेख सुरक्षा व्यवस्था का कार्य, डूबते पर्यटकों को जान जोखिम में डाल कर बचाना आदि का कार्य पूरी जवाबदेही निष्ठा के साथ करते आ रहे हैं। लेकिन झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड रांची एवं पर्यटन विभाग ने पर्यटन स्थलों पर कार्यरत पर्यटन मित्रों के हित में मानदेय वृद्धि, जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा ,चिकित्सा सुविधा आदि सरकारी सुविधा आज तक लागू नहीं किया गया है । पर्यटक मित्रों को दैनिक मजदूरी 246 की दर से 26 दिन का ही मजदूरी भुगतान किया जाता है और 31 दिन इनलोगों से कार्य लिया जाता है।
झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के द्वारा साफ -सफाई के कार्य , टिकट काटना, रोकड़ पंजी, संधारण पंजी, गोताखोर ,सुरक्षा व्यवस्था, बैंकों में टिकट की राशि जमा करना आदि कार्य लिया जाता है। पर्यटन मित्रों से सारा कार्य लेने के बावजूद जेटीडीसी रांची पर्यटक मित्रों को अपना कर्मचारी नहीं मानती है, इन्हें केवल बंधुआ मजदूर बना कर रखा है। पर्यटक मित्रों के हित में आज तक सरकारी सुविधा लागू नहीं करने से पर्यटक मित्र बहुत चिंतित हैं । हुंडरू के स्थानीय कारीगर लकड़ी ओर बांस से फूल,तलवार,चाकू ,पेड़ का मूर्तरूप देकर अपनी प्रतिभा दिखलाते है। ये कास्तकारी की बेहतरीन आकर्षक वस्तु बना कर व बेचकर अपनी जीविकोपार्जन भी करते है। दूर- दराज से आये पर्यटक यहां के इस आकर्षक सजावटी समान को खरीदकर यादगार के तौर पर अपने साथ ले जाते है। लकड़ी की यह सजावटी समान सालो भर बिक्री की जाती है।
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