नई दिल्ली। संसद की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी समिति ने फेसबुक आदि सोशल मीडिया माध्यमों को हिदायत दी है कि वे समाज में विभाजन पैदा करने, हिंसा फैलाने, राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा पैदा करने और चुनावों में दखलंदाजी करने जैसी हरकतों से बाज आएं।
संसदीय समिति ने सोशल मीडिया के प्रतिनिधियों को बुधवार को तलब किया था और उनके खिलाफ मिली अनेक शिकायतों के बारे में उनसे जवाब-तलब किया था। बैठक के बाद सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा कि फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया माध्यमों के प्रतिनिधियों ने यह आश्वासन दिया है कि वे सुधारात्मक कदम उठाएंगे। साथ ही चुनाव आयोग और संबंधित मंत्रालयों के संपर्क में रहेंगे। फेसबुक ने अपने कुछ कर्मचारियों द्वारा आतंकवाद और पुलवामा आतंकी हमले के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए संसदीय समिति से माफी मांगी। संसदीय समिति ने फेसबुक अधिकारियों से कड़ी भाषा में सवाल पूछा था कि क्या आपका मंच समाज की भलाई के लिए है या समाज में विभाजन पैदा करने के लिए।
फेसबुक ने उसके प्लेटफार्म पर पोस्ट की जाने वाली सामग्री पर निगरानी रखने के लिए समुचित प्रक्रिया के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दिया। संसदीय समिति ने इन सोशल मीडिया माध्यमों को निर्देश दिया कि वे अपनी कार्यप्रणाली और सामग्री के नियमन के संबंध में दस दिन के अंदर विस्तृत रिपोर्ट सौंपे।
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