नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने फोन कॉल की टेपिंग, ट्रेसिंग और निगरानी के बारे में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 में फोन टेपिंग को लेकर प्रावधान पहले से मौजूद हैं। कोर्ट ने सीबीआई अधिकारियों द्वारा शक्तियों का दुरुयपोग करने के मामले में एसआईटी से जांच की मांग भी खारिज कर दी।
पिछले 15 जनवरी को कोर्ट ने केंद्र सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया था। याचिका सार्थक चतुर्वेदी ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के भी फोन टेप किए गए थे। क्या उनका फोन टेप करने से पहले सीबीआई ने इसकी अनुमति ली थी। याचिका में कहा गया था कि फोन टेपिंग के मामले में सीबीआई के कुछ अधिकारियों ने इस संबंध में मौजूदा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है।
याचिका में फोन कॉल को ट्रेस और टेप करने के मामलों में अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।याचिका में सीबीआई के कुछ लोक सेवकों द्वारा गैरकानूनी तरीके से फोन कॉल की टेपिंग और ट्रेसिंग को रोकने औऱ उसकी जांच लिए एसआईटी के गठन की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि कोर्ट केंद्र सरकार को इस संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दे, ताकि कोई भी अधिकारी अपने हितों के लिए कानून और शक्तियों का दुरुपयोग न कर सके। सीबीआई के दो वरिष्ठ अफसरों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग में अजित डोभाल और कुछ दूसरे लोगों के फोन टेप करने की शिकायतें मिली हैं।
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