डॉ. वेदप्रताप वैदिकदेश के सिर्फ पांच राज्यों में आजकल चुनाव हो रहे हैं। ये पांच राज्य न तो सबसे बड़े हैं और न ही सबसे अधिक संपन्न लेकिन इनमें इतना भयंकर भ्रष्टाचार चल रहा है, जितना कि हमारे अखिल भारतीय चुनावों में भी नहीं देखा जाता। अभीतक लगभग 1000 करोड़ रु. की चीजें पकड़ी गई हैं, जो मतदाताओं को बांटी जानी थीं। इनमें नकदी के अलावा शराब, गांजा-अफीम, कपड़े, बर्तन आदि कई चीजें हैं। गरीब मतदाताओं को फिसलाने के लिए जो भी ठीक लगता है, उम्मीदवार लोग वही बांटने लगते…
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कोरोनाः जनता-कर्फ्यू जरूरी
डॉ. वेदप्रताप वैदिककोरोना महामारी का दूसरा हमला जितनी ज़ोरों से भारत में हो रहा है, शायद दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं हुआ। एक दिन में सवा दो लाख मरीज़ों का होना भयंकर खतरे की घंटी है। हजारों लोग रोज़ मर रहे हैं। उनमें बुजुर्ग तो हैं ही, अब जवानों की संख्या भी बढ़ने लगी है। कई शहरों में श्मशान घाट और कब्रिस्तान छोटे पड़ रहे हैं। मरीज़ लोग दवा और पलंगों की कमी के कारण दम तोड़ रहे हैं।कोरोना की दवा की कालाबाजारी शुरू हो गई है। मध्यवर्गीय…
Read Moreकोरोना संकटः स्थिति को संभालने की चुनौती
डॉ दिलीप अग्निहोत्रीकोरोना संकट के पहले चरण पर बड़ी हद तक नियंत्रण स्थापित हुआ था। लेकिन यह सभी लोगों को पता था कि संकट समाप्त नहीं हुआ है। इसके बाबजूद प्रायः सभी स्तरों पर लापरवाही हुई। तब स्थिति को संभालने में लॉकडाउन भी कारगर साबित हुआ था। यह सही है कि देश की बड़ी आबादी को मुसीबतों का सामना करना पड़ा लेकिन इसका कोई विकल्प भी नहीं था। भारत जैसे विशाल आबादी में संक्रमण अधिक फैलने के दुष्परिणाम अधिक भयावह होते। किंतु ऐसा लगता है कि अनलॉक के पहले चरण…
Read Moreचार्ली चैपलिनः दुनिया वालों मेरी मृत्यु पर आंसू न बहाओ, ठहाके लगाओ
चार्ली चैपलिन के जन्मदिवस (16 अप्रैल) पर विशेषयोगेश कुमार गोयल इंसान के जीवन में हंसी न हो तो इंसान और जानवर में भला क्या फर्क रह जाएगा। कुछ इंसान ऐसे भी होते हैं, जो खुद भले ही कितने भी दुखी हों, दूसरों को हंसाने के लिए कुछ न कुछ करते ही रहते हैं। एक शख्स ऐसा भी हुआ है, जिसने अपना समस्त जीवन लोगों का स्वस्थ मनोरंजन करने और उन्हें हंसाने-खिलखिलाने में ही बिता दिया। काले बाल, सिर पर पुराना हैट, हिटलर जैसी तितलीनुमा मूछें, नेपोलियन जैसा चेहरा, नीली आंखें,…
Read Moreभाजपा, नया संसदीय मॉडल और संघ की विचारशक्ति
भाजपा स्थापना दिवस (06 अप्रैल) पर विशेषडॉ. अजय खेमरिया41 वर्ष आयु हो गई है भारतीय जनता पार्टी की। मुंबई के पहले पार्टी अधिवेशन में अटल जी ने अध्यक्ष के रूप में कहा था कि “अंधियारा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।” आज भारत की संसदीय राजनीति में चारों तरफ कमल खिल रहा है। कभी बामन-बनियों और बाजार वालों (मतलब शहरी इलाके) की पार्टी रही भाजपा आज अखिल भारतीय प्रभाव के चरम पर है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के शोर में बीजेपी का स्थापना दिवस कुछ अहम सवालों के साथ विमर्श…
Read Moreपुनर्जन्म का आधार अभिलाषा है
हृदयनारायण दीक्षित जीवन सरल है, तरल है और विरल भी। संसार का प्रत्येक व्यक्ति अनेक अभिलाषाओं से भरा पूरा है। अभिलाषाएं कभी पूरी नहीं होती। अनंत है अभिलाषाएं। एक पूरी हुई दूसरी सामने है। मेरे मन में जीवन को समझने की अभिलाषा रही है। यह कठिन कार्य है। लेकिन स्वयं को पूरा समझने में जीवन की समझ अपने आप आ जाती है। स्वयं को समझने की अभिलाषा जीवन को वस्तुतः जीवन को समझने के लिए पर्याप्त है।भारतीय चिंतन में अभिलाषाओं को पूरा करने पर जोर नहीं है। सभी अभिलाषाएं पूरी…
Read Moreधरती को बचाने इस हाथ दे उस हाथ ले
ऋतुपर्ण दवे दुनिया भर में प्रकृति और पर्यावरण को लेकर जितनी चिन्ता वैश्विक संगठनों की बड़ी-बड़ी बैठकों में दिखती है, उतनी धरातल पर कभी उतरती दिखी नहीं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सामूहिक चिन्तन और हर एक की चिन्ता से जागरुकता बढ़ती है। बिगड़ते पर्यावरण, बढ़ते प्रदूषण को लेकर दुनिया भर में जहाँ-तहाँ भारी-भरकम बैठकों का दौर चलता रहता है परन्तु वहाँ जुटे हुक्मरानों और अफसरानों की मौजूदगी के मुकाबले कितना कुछ हासिल हुआ या होता है, यह सामने है। सच तो यह है कि दुनिया…
Read Moreपॉलिथीन से बायो डीजल बनायें-पर्यावरण बचायें
आर.एन. गुप्ता देश के गांव-गलियों और शहरों में पॉलिथीन कचरे से नालियां, नाले और नदियां अवरुद्व हो रही हैं। इतना ही नहीं, ताजा अध्ययन बता रहे हैं कि जब से प्लास्टिक कचरे का उपयोग भूमि भराव में हो रहा हैं, समुद्र तेजी से प्रदूषित होकर जलवायु परिवर्तन के लिये नया सबक बन गये हैं। मछलियां पॉलिथीन खा रही हैं, उनको पकड़कर इंसान दोबारा उनको खा रहे हैं। अर्थात पॉलिथीन वहीं वापस आ रहा है। शहरों में गाय-भैंसे पॉलिथीन थैलियां खाकर बीमार हो रही हैं, उनका प्रदूषित दूध इंसानों को भी…
Read Moreभारत कहां तक बर्दाश्त करे शरणार्थी
म्यांमार संकट से उपजे सवाल डॉ. प्रभात ओझा म्यांमार के नागरिक मुसीबत में हैं। लोकतंत्र के लिए प्रदर्शन कर रहे लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। जो हालात से डरकर भागना चाहते हैं, उन्हें पड़ोसी देश अपने यहां आने नहीं देना चाहते। चुनी हुई सरकार के फरवरी में तख्ता-पलट के बाद 29 मार्च तक सेना की गोलियों से म्यांमार के 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। अकले 28 मार्च को जब म्यांमार की सेना अपना वार्षिक परेड कर रही थी, लोकतंत्र के लिए सड़कों पर उतरे…
Read Moreहोली के विविध रंगः कहीं चलती लाठियां, कहीं पत्थरों की बरसात
होली के त्योहार (29 मार्च) पर विशेषयोगेश कुमार गोयल जन चेतना का जागरण पर्व होली हमें परस्पर मेल-जोल बढ़ाने और आपसी वैर भाव भुलाने की प्रेरणा देता है। रंगों के इस पर्व के प्रति युवा वर्ग व बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी अपार उत्साह देखा जाता है। वैसे तो यह त्यौहार देश में होलिका दहन व रंगों के त्यौहार के रूप में ही जाना जाता है लेकिन भारत के विभिन्न भागों में इस पर्व को मनाने के अलग-अलग और बड़े विचित्र तौर-तरीके देखने को मिलते हैं। डालते हैं देशभर…
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