सभी के लिए आदर्श हैं भगवान श्रीराम

भगवान श्रीराम की मातृ-पितृ भक्ति भी बड़ी महान थी वो अपने पिता राजा दशरथ के एक वचन का पालन करने 14 वर्ष तक वनवास काटने चले गए और माता कैकयी का भी उतना ही सम्मान किया। भातृ प्रेम के लिए तो श्रीराम का नाम सबसे पहले लिया जाता है उन्होंने अपने भाइयों को अपने बेटों से बढ़ कर प्यार दिया इनके इसी भातृ प्रेम की वजह से उनके भाई उन पर मर मिटने को तैयार रहते थे। श्रीराम ने रावण का और अन्य असुरों का संहार कर धरती पर शांति…

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अक्षय तृतीया का महत्‍व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा

(अक्षय तृतीया 7 मई पर विशेष) अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचागं देखने की जरूरत नहीं है। अक्षय तृतीया पर किए गए कार्यों का कई गुना फल प्राप्‍त होता है। इस साल अक्षय तृतीया पर शनि की चाल बदलना भी एक विशेष घटना है जिसका प्रभाव सभी राशियों पर अगले 6 महीने तक देखने को मिलेगा। इसे अखतीज के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में बताया…

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मौत के बाद आत्मा के साथ कुछ ऐसा होता है

इंसान अगर पृथ्वी पर अच्छे कर्म किए हैं तो बार-बार के जीवन से मुक्ति मिलती है और उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि मरने के बाद इंसान यदि स्वर्ग जाता है तो उसकी आत्मा को सभी सुख दिए जाते हैं। अगर कोई इंसान पृथ्वी पर रहते हुए बुरे कर्म किए हों तो उसे नर्क भेजा जाता है। और वहां पर उसके साथ उसके कर्म के हिसाब से यातनाएं मिल सकती हैं। इसलिए जीवन में इनसे दूर रहने का प्रयास करें। कुंभीपाक: ऐसे व्यक्ति जो…

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करिए हनुमानजी के इन 5 स्वरूपों की पूजा, होगी हर मनोकामना पूरी

कहते हैं कलियुग में समस्त दुखों का नाश महज हनुमानजी की आराधना से हो जाता है। बैकुंठ जाते वक्त मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने परम भक्त हनुमान को इसी उद्देश्य से धरती पर रहने का आदेश दिया था। ऐसी मान्यता है कि कलियुग में हनुमानजी की पूजा से न सिर्फ घर की बाधा दूर होती है, बल्कि बिगड़े काम भी बन जाते हैं। हम आपको हनुमानजी की उपासना से जुड़ी कुछ अहम बातें बता रहे हैं। विद्वानों के अनुसार, हनुमानजी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने पर अलग-अलग फलों की…

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ईश्वर नाम स्मरण ही जीवन का परम सुख

सब दुःखों की जड़ देह है। उसमें भी यदि देह बीमार हुआ तो वह दुःख की हद होगी। नमक का खारापन, शकर की सफेदी, ये जैसे नमक और शक्कर से अलग नहीं होते वैसी ही बात देह और दुःख की जानो, यानी देह और दुःख अलग नहीं होते। देह मजबूत और ताकतवर होने पर भी दुःख भुला नहीं जाता। शरीर के लिए जैसी छाया है वैसे ही शरीर के लिए रोग है। रामकृष्ण आदि अवतार हो गए किन्तु वे भी अन्त में देह में नहीं रहे। अपना भी भरोसा नहीं…

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स्वस्थ शरीर में ही छिपा है सार्थक जीवन का रहस्य

-हरीश बड़थ्वाल- चिकित्सकों ने एक बीमार व्यक्ति को बार-बार सलाह दी कि जान बचानी है तो शराब को पूरी तरह छोड़ दो। वह समझ चुका था कि शराब ही उसकी बीमारी का मुख्य कारण है और इससे उसके अंदरूनी अंग नष्ट हो रहे हैं। पर वह शराब नहीं छोड़ पाया। एक दिन वह जीवन से ही हाथ धो बैठा। शंकराचार्य विरचित ‘स्तोत्ररत्नावली’ के चर्पटपंजिरिकास्तोत्रम् में मानवाचार की इस विडंबना का उल्लेख है कि अनुचित, आपत्तिजनक कार्य या व्यवहार में लिप्त व्यक्तियों को अंततः दुर्दशा में गिरते देखकर भी देखने वालों…

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जीवन सार्थक बनाने के लिए केवल यह एक काम जरूरी

-सीताराम गुप्ता- वर्षा के जल से धुलकर स्वच्छ हो चुकी मधुकामिनी की एक सुंदर घनी झाड़ी पर छोटे-छोटे सफेद आकर्षक फूल खिले हुए थे। मैंने उस झाड़ी से एक फूल तोड़ लिया। उसमें से मंद-मंद मनमोहक महक निःसृत हो रही थी। मैंने फूल पर लगी वर्षा जल की नन्ही बूंदों को झाड़ने के लिए फूल के वृंत को अंगूठे व तर्जनी की सहायता से घुमाया तो उसकी पंखुड़ियां ही झरकर नीचे गिर गईं और उंगलियों के बीच रह गया सिर्फ वृंत। मैंने नीचे गिरी सभी पंखुड़ियों को उठाकर हथेली पर…

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धर्म के मार्ग पर चाहिए धैर्य

-ओशो- (साभार ओशो वर्ल्ड फाउंडेशन, नई दिल्ली) परमात्मा की उपलब्धि के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। प्रभु को पाना चाहते हैं तो प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। हो सकता है कई जन्मों की प्रतीक्षा करनी पड़े। अगर आपने धैर्य खोया तो फिर सारा खेल खत्म। प्रभु को पाने की चाह में आपको समय की सीमा से परे हो जाना होगा। और जब आप समय की सीमा को भूल जाते हैं, परमात्मा का साक्षात्कार उसी समय हो जाता है। व्यक्ति धर्म के मार्ग पर गया है, उसने अनंत की फसल काटनी चाही है।…

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सत्य सदैव एक रूप में स्थित रहता

सत्य सदैव एक रूप में स्थित रहता है। वह किसी भी काल, किसी भी युग किसी भी परिस्थिति में परिवर्तित नहीं होता। वह प्रकाशमान तत्व सदैव एक समान बना रहता है। यानी जो अपरिवर्तनशील है, वही सत्य है और वह अपरिवर्तनशील तत्व नित्य, शुद्ध परमात्मा है जो समस्त देहधारियों में आत्मा के रूप में विद्यमान रहता है। उसी परमात्मा ने सारे जगत को धारण कर रखा है और सारा जगत उसी के भीतर व्याप्त है। सभी मानव शरीरों के अंदर रहते हुए भी कोई परमात्मा को जान नहीं पाता। वह…

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जब मुश्किल में हों प्राण, पढ़ें बजरंगबाण

क्या आप भयंकर मुसीबत से घिरे हैं? क्या परेशानियों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा? अगर ऐसा है तो बजरंगबली का बजरंगबाण आपकी सहायता कर सकता है। कहा जाता है कि जहां बजरंगबाण का पाठ किया जाता है, वहां हनुमान जी स्वयं आ जाते हैं। क्यों है बजरंग बाण अचूक? पवनपुत्र श्रीराम के भक्त हैं। आप श्रीराम का नाम लें और हनुमान जी आपकी मदद के लिए न आएं ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि बजरंग बाण में हनुमान जी के आराध्य श्रीराम की सौगंध दिलाई गई है।…

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