यदि आप पर ग्रह नक्षत्रों की बुरी दशा चल रही है या आप कई महीनों से आप समस्याओं से घिरे हुए हैं, एक के बाद एक संकट आते रहते हैं तो यहां बताएं गए उपाय को अजमाएं। ये उपाय करने में किसी भी प्रकार की कोई बुराई नहीं है। 1. हनुमान चालीसा पढ़ना- सबसे पहले हनुमान चालीसा नियम से पढ़ना शुरू कर दें। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है जो हमें हर तरह की जानी अनजानी अनहोनी से बचाती है। 2.…
Read MoreCategory: अध्यात्म
जरूरतमंदों की मदद करना सिखाता है रमजान
रमजान का पवित्र महीना शुरू होने के साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में खुदा की इबादतों का रुहानी दौर शवाब पर है। रमजान की आमद से शहर से लेकर देहात तक के सभी मुस्लिम इलाकों में पुरनुर रुहानी मंजर जर्रे-जर्रे में दिख रहा है। मस्जिदों में नमाज अता करने वाले नमाजियों की तादाद बढ़ गयी है। कहा जा सकता है इस्लाम धर्म में इबादत का मूल उद्देश्य मनुष्य के जीवन को भक्तिमय बनाना और आदर्श जीवन का मार्ग दिखाना है। इंसान के शरीर और आत्मा को पवित्र बनाती है। रोजा…
Read Moreभगवान शिव ने क्यों किया चंद्र को मस्तक पर धारण
पौराणिक कथानुसार चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ संपन्न हुआ। चंद्र एवं रोहिणी बहुत खूबसूरत थीं एवं चंद्र का रोहिणी पर अधिक स्नेह देख शेष कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से अपना दुःख प्रकट किया। दक्ष स्वभाव से ही क्रोधी प्रवृत्ति के थे और उन्होंने क्रोध में आकर चंद्र को श्राप दिया कि तुम क्षय रोग से ग्रस्त हो जाओगे। शनैः-शनैः चंद्र क्षय रोग से ग्रसित होने लगे और उनकी कलाएं क्षीण होना प्रारंभ हो गईं। नारदजी ने उन्हें मृत्युंजय भगवान आशुतोष की आराधना करने…
Read Moreअगर घर में है वास्तु दोष तो करें यह आसान उपाय
-कमल सिंघी- वास्तु के अनुसार आपको घर में दक्षिण दिशा में सोना चाहिए। जिससे आपके स्वभाव में बदलाव होगा। ध्यान रखें कि पश्चिम की और सिर रख कर नहीं सोये। घर के उत्तर व पूर्व में कभी भी कचरा इकट्ठा ना होने दें और ना ही इधर भारी मशीनें रखें। यह आपके घर में वास्तु दोष का कारण बन सकता है। हर कोई अपना अच्छा सा घर बनाकर उसमें हंसी खुशी रहना चाहता है। लेकिन जब हम घर का निर्माण करवाते है तो हमसे कई ऐसी चूक हो जाती है…
Read Moreकण-कण में चेतना
समस्त सृष्टि के मूल में एक ही शक्ति या चेतना है, वह चेतना जब जड़ पदार्थो से संयोग करती है, तो जीवों के रूप में व्यक्त होती है और जब ब्रह्मांड व्यापी हो जाती है, तो उसे ही ब्रह्म कहा जाता है। वस्तुतः शास्त्रों के अनुसार जो सर्वव्यापी है वही अणु में है, जो ब्रह्मांड में है वह कण में भी है। आत्मा, जिसे शरीर तक सीमित रहने वाली चेतना का एक कण समझा जाता है, विकसित होकर परमात्मा के समान विभूतियों की भंडार बन जाती है। आज वैज्ञानिक भी…
Read Moreईश भक्ति है सबसे सबल सहारा
-कानन झींगन- भक्ति को राजमार्ग कहा गया है। ज्ञान और कर्म का मार्ग भी उसी मंजिल तक पहुंचाता है, परंतु वह कष्टसाध्य है। गीताकार ने ज्ञान द्वारा निराकार अव्यक्त परमेश्वर को प्राप्त करना दुष्कर बताया है। भक्ति द्वारा चित्त और बुद्धि को भगवान में स्थिर करना सरल और सुगम है। अभ्यास और विधि-विाधन के पालन से एकाग्रता प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार कर्म, ज्ञान (ध्यान) और भक्ति के विकल्पों के बाद निष्कर्ष अंतिम अध्याय में है, जहां सब साधनों को छोड़कर शरणागति को जीवन की सर्वोच्च सिद्धि स्थापित…
Read Moreमांगलिक की शादी मांगलिक से ही हो सकती है
आज भी जब किसी स्त्री या पुरुष के विवाह के लिए कुंडली का मिलान किया जाता है तो सबसे पहले देखा जाता है कि वह मांगलिक है या नहीं। ज्योतिष के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मांगलिक है तो उसकी शादी किसी मांगलिक से ही की जानी चाहिए, इसके पीछे कई धारणाएं बनाई गई हैं। ज्योतिष के अनुसार मांगलिक लोगों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव होता है, यदि मांगलिक शुभ हो तो वह मांगलिक लोगों को मालमाल बना देता है। मांगलिक व्यक्ति अपने जीवनसाथी से प्रेम-प्रसंग के संबंध में कुछ…
Read Moreहो जाएं पांच तत्वों से मुक्त
-सद्गुरु जग्गी वासुदेव- जहां तक शारीरिक रचना की बात है तो हम इतने सक्षम नहीं हैं, जितने कि दूसरे प्राणी। लेकिन हम कुछ ऐसी काबिलियत ले कर इस धरती पर आए हैं, जिससे हम लोग गुजर-बसर की मौलिक प्रवृत्ति के परे भी कुछ कर सकते हैंय इंसान के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण चीज है। लेकिन गुजर-बसर की जरूरतों से परे कुछ करने की बजाय अधिकतर लोगों ने गुजर-बसर के अपने स्तर को बढ़ा लिया है। मानव-तंत्र के इस्तेमाल का यह तरीका बड़ा ही विवेकहीन है, क्योंकि यह मानव-तंत्र तो एक…
Read Moreविवाह से पूर्व ऐसे भेजें गणपति को निमंत्रण, निर्विघ्न होंगे सब काम
प्रथमपूज्य भगवान गणेश से ही विवाह कार्यक्रम की शुरुआत होती है। इसलिए पहला निमंत्रण पत्र भगवान गणेश को ही भेजते हैं। निमंत्रण पत्र भेजने से पूर्व पूजन भी किया जाता है। इस पूजा में दूल्हा अथवा दुल्हन, उसके माता-पिता, साथ में एक विनायक तथा पंडितजी, जो विधि से पूजा संपन्न कराते हैं, शामिल होते हैं। तब से ही विवाह कार्य एवं सभी प्रकार के रीति-रिवाज शुरू हो जाते हैं। इसमें सात प्रकार की वस्तुएं जौ, मूंग, हल्दी की गांठ, नाड़ा, चांदी की घूघरी, कोयला, दो सूपड़े, दो मूसल और औढना…
Read Moreभगवान का शयन करना
भगवान सूर्य के मिथुन राशि में आने पर भगवान मधुसूदन की मूर्ति को शयन कराते हैं और तुला राशि में सूर्य के जाने पर भगवान जनार्दन शयन से उठाये जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहते हैं। गरुड़ध्वज जगन्नाथ के शयन करने पर चारों वर्णो की विवाह, यज्ञ आदि सभी क्रियाएं सम्पादित नहीं होतीं। यज्ञोपवीतादि संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, ग्रहप्रवेशादि, गोदान, प्रतिष्ठा एवं जितने भी शुभ कर्म है, वे सभी चातुर्मास्य में त्याज्य हैं। भविष्य पुराण, पदमपुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार हरिशयन को योगनिद्रा कहा गया है। संस्कृत साहित्य…
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