डेंगू के डंक से बीमार है पटना, आखिर इसका कैसे होगा समाधान

-मुरली मनोहर श्रीवास्तव- आखिर बिहार को क्या हो गया है? अपने ही आंगन में अपने लाल दम तोड़ रहे हैं और सरकार चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है। पटना में जलजमाव के बाद से डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया जैसी कई बीमारियों का भयंकर प्रकोप से पटना की जनता जूझ रही है। अब तक डेंगू से पटना में हजारों लोग पीड़ित हैं, तो कईयों की अब तक मौत हो चुकी है। डेंगू से पटना में हो रही मौत का आखिर कौन है गुनहगार, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।…

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“दीदी बनाम दादा” बंगाल चुनाव

-सज्जाद हैदर- जी हां बंगाल की राजनीति में बहुत बड़े उलट फेर होने का दृश्य दिखाई देने लगा है। क्योंकि, बंगाल की राजनीति में दीदी बड़ी ही मजबूती के साथ टिकी हुई हैं। तमाम तरह के राजनीतिक दाँव पेंच के बावजूद भी दीदी को बंगाल की सत्ता से हटा पाना बहुत ही मुश्किल दिख रहा था। क्योंकि, बंगाल की धरती पर भाजपा का कोई भी ऐसा नेता नहीं है जोकि मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में दीदी का मुकाबला कर सके शायद इसी की भरपाई करते हुए भाजपा ने यह…

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करवा चौथ, 17 अक्टूबर पर विशेष : भारतीय संस्कृति का गौरव-करवा चौथ

-योगेश कुमार गोयल- करवा चौथ पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है। उस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। उस दिन महिलाओं के चेहरे पर अलग ही तेज नजर आता है। करवा चौथ का नाम सुनते ही मन में सोलह श्रृंगार किए खूबसूरत नारी की छवि उभर आती है। दरअसल, मेंहदी लगे हाथों में रंग-बिरंगी खनकती चूड़ियां, माथे पर आकर्षक बिंदिया, मांग में सिंदूर, सुंदर परिधान…

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गुजरात का आदिवासी नाराज क्यों?

-ललित गर्ग- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदिवासी एवं जनजातीय लोगों के कल्याण एवं उन्हें राष्ट्रीय मूलधारा से जोड़ने के अपने संकल्प को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को बार-बार दोहराते रहते हैं, दूसरी ओर उन्हीं के गृहराज्य गुजरात के आदिवासी अपने अस्तित्व एवं अस्मिता को लेकर बार-बार आन्दोलनरत होने को विवश हो रहे हैं। जब तक यह विरोधाभास समाप्त नहीं होगा, आदिवासी कल्याण की योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े होते रहेंगे। विदित हो इनदिनों गुजरात के छोटा उदयपुर में आदिवासी जनजातीय समूह बृहत स्तर पर आन्दोलन कर रहे हैं, जिसमें आदिवासी जननायक संत…

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बैंकिंग अनियमितताओं से त्रस्त

-डा. वरिंदर भाटिया- बैंक फ्रॉड के मामलों में बीते कुछ समय में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। देश के कुछ बैंकों में बढ़ते फ्रॉड के सामने आने के कारण कुछ लोग महसूस कर रहे हैं कि बैंकों में पैसा रखना खतरे से खाली नहीं रह गया है। कहीं किसी बैंक की अक्षमता से पैसा खतरे में जा रहा है कहीं, तो ऑनलाइन साइबर फ्रॉड से खाताधारकों को लूटा जा रहा है। हाल ही में मशहूर वाणिज्यिक एजेंसी मूडीज ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम को सबसे कमजोर करार देते हुए चेतावनी…

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सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा का…

कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार में चिदंबरम के कैबिनेट साथी रहे, तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल भी बेनकाब हुए हैं। वह भी तिहाड़ जेल जाएंगे अथवा नहीं, हम ऐसा कोई दावा नहीं कर सकते, लेकिन मुद्दा पूर्व केंद्रीय मंत्री और अंडरवर्ल्ड डॉन की आपसी सांठगांठ का है। मंत्री पद पर रहते हुए ही प्रफुल्ल पटेल ने एक कथित आतंकवादी के साथ सौदा किया। सौदे के दस्तावेज पर भी 2007 में मंत्री रहते हुए दस्तखत किए गए। आज ये दस्तावेजी कागजात सार्वजनिक हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने प्रफुल्ल को समन भेजकर…

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एकीकृत भारत की प्रबल आवाज़ थे ‘सीमांत गांधी’

-निर्मल रानी- भारतवर्ष में आज़ादी के 72 वर्षों बाद आज एक बार फिर भारत के हिन्दू राष्ट्र होने और 1947 में मुहम्मद अली जिन्नाह की मुस्लिम लीग द्वारा प्रस्तुत ‘द्वि राष्ट्’ के सिद्धांत को अमल में लाए जाने की बात पुरज़ोर तरीक़े से की जाने लगी है। इस विभाजनकारी राजनैतिक वातावरण के मध्य एक बार फिर स्वतंत्रता आंदोलन के उन महान नेताओं को याद किया जाना ज़रूरी हो गया है जो जिन्नाह के धर्म आधारित द्वि राष्ट्र के सिद्धांत के विरुद्ध एकीकृत भारत अथवा अविभाजित भारत की अवधारणा के अलम्बरदार…

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महान कलाम तुम्हें सलाम

-सज्जाद हैदर- भारत के इतिहास में सोने के अक्षरों में अंकित एक ऐसा व्यक्ति जन्म लेता है जोकि बेहद गरीब परिवार में अपनी आँखें खोलता है जिसे दो जून की रोटी भी खाने को नसीब नहीं होती। इस विक्राल परिस्थिति में जन्मे हुए बच्चे ने संघर्ष करना शुरू किया और कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक समय वह आया जब पूरा विश्व इस महान व्यक्ति के सामने सिर झुकाए हुए खड़ा दिखाई दिया। जी हाँ हम बात कर रहे हैं मिसाईल मैन ए.पी.जे.ए.कलाम जी की जिनका जन्म (15 अक्टूबर…

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गांधी जयंती के बहाने अपनी छवि चमकाने की कवायद

-राम पुनियानी- इन दिनों देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 150वां जन्मदिन मना रहा है. इस मौके पर गांधीजी के बारे में मीडिया में बहुत कुछ लिखा और कहा जा रहा है. कुछ लोग तो ईमानदारी से गांधीजी की शिक्षाओं और उनके दिखाए रास्ते को याद कर रहे हैं और आज की दुनिया में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दे रहे हैं परन्तु कुछ अन्य लोग, इस अवसर का इस्तेमाल अपनी को छवि चमकाने और अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. इसके लिए बड़ी कुटिलता से बापू के लेखन, उनके…

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हिंसा से बढ़ता सामाजिक अलगाव एवं अकेलापन

-ललित गर्ग- आज देश ही नहीं, दुनिया में हिंसा, युद्ध एवं आक्रामकता का बोलबाला है। जब इस तरह की अमानवीय एवं क्रूर स्थितियां समग्रता से होती है तो उसका समाधान भी समग्रता से ही खोजना पड़ता है। हिंसक परिस्थितियां एवं मानसिकताएं जब प्रबल हैं तो अहिंसा का मूल्य स्वयं बढ़ जाता है। हिंसा किसी भी तरह की हो, अच्छी नहीं होती। मगर हैरानी की बात ये हैं कि आज हिंसा के कारण लोग सामाजिक अलगाव एवं अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। शिकागो विश्वविद्यालय के द्वारा हाल ही में किये…

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