राजस्थान के बूंदी जिले का तारागढ़ किले का निर्माण यहां के राजा राववर सिंह ने पंद्रहवीं शताब्दी में करवाया था। 1426 फीट की ऊंचाई पर अरावती की पहाड़ियों में स्थित यह किला आज भी अपनी विशालता से लोगों का ध्यान बरबस खींच लेता है। किले की प्राचीर का निर्माण जयपुर के फौजदार दलेल सिंह ने करवाया था। दुर्ग में चार बडे कुंडल हैं। रहने के लिए सुंदर महल और निवास हैं। किले का आकर्षण एक काफी ऊंची बुर्ज है जिसे भीम बुर्ज के नाम से पुकारा जाता है। बुर्ज के नजदीक ही एक छतरी है। इसे भीम राव अनिरुद्ध सिंह के धाभाई देवा ने बनवाया था। इसके अंदर एक किलेधारी का मंदिर है जिसे महाराज राजा उम्मेद सिंह ने बनवाया था। यहां एक जगह ऐसी है जहां दो मिनट के लिए आप अपने आप ठिठक जाएंगे। यह जगह है किले की चित्रशाला। उम्मेद महल के नाम से प्रसिद्ध इस भव्य चित्रशाला का निर्माण राव उम्मेद सिंह ने करवाया था। यहां राव उम्मेद सिंह तथा राव बिसन सिंह की तस्वीरें हैं। इस चित्रमहल की विषयवस्तु राग रागनियों, प्रेमाख्यान और राजकीय समारोह, गोवर्धन धारी चीर हरण, राम विवाह, ढोलामारु तथा महामिरातेब हैं। चित्रशाला पर मुगल और मेवाड़ शैली का असर है। यहां हरी पृष्ठभूमि पर सफेद रंग से पुरुष और नारी बने हैं। स्त्री और पुरुष के कपड़ों के रंग लाल, नीले, काले और पीले हैं। पूरे किले में यही एकमात्र भाग है जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने सुरक्षित स्मारक घोषित कर अपने अधीन रखा हुआ है। इसी चित्रशाला में एक जगह महाराज उम्मेद सिंह की चरण पादुका रखी हुई है। इस जगह पहले सिंहासन रखा होता था। इसके अलावा किले में पहाडियों से सबसे ऊंचाई पर पहले राजा का घुड़साल हुआ करता था। घुड़साल के अलावा इत्र महल, बादल महल, फूल महल जैसी और भी कई अन्य जगह हैं जो पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र बन सकते हैं लेकिन महाराज के वंशज ने उसे अपनी निजी संपत्ति के तौर पर संरक्षित कर रखा है। यहां विदेशी पर्यटक भी आते हैं मगर उनकी संख्या कम है। पहाड़ियों की ऊंचाई पर पुलिस विभाग ने एक वायरलेस स्टेशन भी स्थापित कर रखा है। पहाड़ियों की चढ़ाई कर इस किले के विशाल रूप से वाकिफ होकर अगर आप सुस्ताने के लिए नीचे आएंगे तो आपको एक हेरिटेज होटल मिलेगा। निजी समूहों ने किले के ही एक भाग का नवीकरण कर इसमें कमरे बना दिए हैं। इन कमरों में रुककर आप भी एक दिन राजाओं के जमाने में वापस जा सकते हैं।
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