अयोध्या। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विवविद्यालय के संत कबीर सभागार में अवध विश्वविद्यालय एवं इंण्डिया थिंक काउसिंल के संयुक्त संयोजन में दो दिवसीय अवध मिथिला सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को किया गया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि अयोध्या दुनिया की सबसे पवित्र भूमि है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम की जन्म स्थली अयोध्या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जननी है। महान भारत का सपना यही से पिरोया गया है। राम धरती के कण-कण में है जन-जन में है। भगवान राम को कैसे भूला जा सकता है। एक लम्बे अरसे के बाद राम मन्दिर पर निर्णय से प्रत्येक देशवासी ने हृदय से स्वीकारा है। जनभावनाओं की इच्छा के अनुरूप सुप्रीम कोर्ट ने मन्दिर पर निर्णय दिया।
श्री चौबे ने कहा कि यह प्रकरण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक एकता का परिचायक है जो सैकड़ो वर्षो से लम्बित था। सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। इससे इस कथन की पुष्टि होती है। भारत की धरती राम की संस्कृति है। सभी भारतवासी भारत माता की संतान है। इसी धरती ने मर्यादा राम, कर्मवीर राम एवं पराक्रमी राम का जन्म दिया। राजा हो तो राम जैसा का संदेश विश्वभर में स्थापित करने वाली अवध की धरती का मिथिला से गहरा सांस्कृतिक सम्बन्ध है।
सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि अयोध्या और मिथिला के मायने हमारी सांस्कृतिक परम्परा से बंधे हुए हैं। अयोध्या को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करना आवयक है। इस पौराणिक नगरी के नेटवर्क को विकसित करने से उन सम्बन्धों का पुर्नजीवित करने का मौका मिलेगा, जिसकी आज आवश्यकता है। अवध में सीता का प्रतिनिधित्व, मिथिला में राम का प्रतिनिधित्व देशवासियों के लिए एक प्रेरक प्रंसग है।
कहा कि अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत को संजोने के लिए राम विवाह को यूनेस्कों की विश्व धरोहर में शमिल करने के योग्य है। क्योंकि राम विवाह की परम्परा अवध में सदियों से चली आ रही है। इस परम्परा को संजोये रखना प्रत्येक भारतवासी का नैतिक दायित्व है। विश्वधरोहर में शामिल होने से अयोध्या उस मुकाम पर पहुचेंगी जिसकी वह हकदार है।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ.सतीश द्विवेदी ने कहा कि सीता राम विवाह हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। सीताराम विवाह के बिना विवाह का संस्कार इतना गंभीर नहीं हो सकता। इसीलिए विवाह को सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक मिलन के रूप में भी भारतीय समाज ने अपनाया है। भारत की धरा के कण-कण एवं घर-घर में राम है।
अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि अवध और मिथिला का रिश्ता अद्वितीय है। इस विरासत को पुनः संजोने की आवयकता है। अवध और मिथिला के रिश्तों में मार्यादाओं की झलक सदियों से परिलक्षित हो रही है। अयोध्या की पुर्नस्थापना में इस विरासत को पुनः जोड़ने की आवयकता है।
जिलाधिकारी अनुज झा ने बताया कि अवध और मिथिला का सम्बन्ध विवाह से शुरू होता है। राम भारतीय समाज के आदर्श माने जातें हैं। मिथिला में प्रत्येक दामाद को राम के स्वरूप से जोड़ा जाता है और सीता को पुत्री एवं शक्ति स्वरूप में देखा जाता है। सीताराम विवाह भारत के आदर्श समाज की एक मजबूत नींव है। क्योंकि मिथिला में राम एवं सीता की जिस संस्कृति परम्परा को संजोया है। वे हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। प्रत्येक राजा की मर्यादा राम से जोड़ी जाती है। बेटा कैसा हो, राज्य कैसा हो, जीवन की मर्यादा कैसी हो, सभी के आदर्श राम है।
अयोध्या शोध संस्थान के निदेाक डाॅ. वाई.पी. सिंह ने कहा कि राम धर्म में है। राम में संस्कृति में है। राम विश्व के कोने-कोने में है। जन्म से लेकर गुरूकुल की शिक्षा तक राम का सामान्य जीवन रहा। सम्मेलन का संचालन भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी तथा धन्वयाद ज्ञापन इंण्डिया थिंक काउसिंल के निदेशक सौरभ पाण्डेय ने किया।
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