कश्मीर के बाद अब दार्जिलिंग को भी केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग


कोलकाता। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसले का दार्जिलिंग की राजनीतिक पार्टियों ने स्वागत किया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की तरह दार्जिलिंग को भी पृथक गोरखालैंड के नाम से केंद्र शासित प्रदेश बनाकर इसमें विधायिका का अलग से गठन करने की मांग उठने लगी है। 
दार्जिलिंग लोकसभा केंद्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजू बिष्ट ने मंगलवार को कहा कि भाजपा ने वादा किया है कि दार्जिलिंग वासियों की समस्याओं का स्थाई राजनीतिक समाधान किया जाएगा और उन्हें उम्मीद है कि 2024 तक पार्टी इसे पूरा करने में सफल होगी। हालांकि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि बंगाल विभाजन की भाजपा की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध होगा।

पहाड़ की मुख्य राजनीतिक पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के महासचिव रहे रोशन गिरि ने मंगलवार को इस बारे में कहा कि लंबी अवधि से हम लोग पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग कर रहे हैं। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया है कि क्षेत्र के लोगों की मांग का राजनीतिक समाधान निकाला जाएगा।  दरअसल, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष विमल गुरुंग पहाड़ के सबसे बड़े नेता रहे हैं। बाद में भले ही ममता बनर्जी ने उनकी पार्टी को बांटकर विनय तमांग को मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया था लेकिन आज भी गुरुंग का रुख ही पहाड़ का रुख माना जाता है। विमल गुरुंग समेत उनके गुट के अधिकतर नेता और समर्थक भारतीय जनता पार्टी के खेमे के माने जाते हैं। गुरुंग की ओर से पक्ष रखते हुए रोशन गिरि ने कहा कि जिस तरह से जम्मू कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटकर वहां विधायिका का गठन करने का निर्णय लिया है, उसी तरह से दार्जिलिंग समस्या का समाधान भी करने का यह सही समय है। 
 उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग में रहने वाले पहाड़ी और गोरखा समुदाय के लोगों को लेकर पृथक गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग पर 1986 से ही लगातार आंदोलन होते रहे हैं। संविधान के छठे अनुच्छेद का इस्तेमाल कर विशेष राज्य बनाने के लिए कई बार हिंसक आंदोलन भी हुए हैं। 2017 के जून महीने में इस मांग पर व्यापक आंदोलन हुआ था जो 104 दिनों तक चला था। तब पूरा दार्जिलिंग लगभग बंद था। उसी दौरान विमल गुरुंग, रोशन गिरी समेत कई अन्य नेताओं के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

हालांकि पृथक गोरखालैंड की मांग का समर्थन पहाड़ की दूसरी मुख्य राजनीतिक पार्टी गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने भी किया था। जीएनएलएफ के नेता एन वी छेत्री ने मंगलवार को कहा कि पृथक गोरखालैंड राज्य का गठन हो सकता है भले ही एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा हो, लेकिन इस पूरे क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश तो बनाया ही जा सकता है। यह सही समय है। भाजपा को इसका संज्ञान लेना चाहिए। भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपना वादा जरूर पूरा करेगी। हालांकि उसके पहले पहाड़ की सभी राजनीतिक पार्टियों से विस्तृत चर्चा की जाएगी। 
वहीं इस बारे में पूछने पर तृणमूल के मंत्री और उत्तर बंगाल के नेता गौतम देव ने कहा कि पहाड़ की समस्याओं के समाधान के लिए ना तो भाजपा गंभीर है और ना ही विमल गुरुंग। यहां के लोगों को भड़का कर केवल अपना राजनीतिक हित साध रहे हैं। बंगाल विभाजन की भाजपा की कोई भी कोशिश का तृणमूल पुरजोर विरोध करेगी। हम ऐसा होने नहीं देंगे। वहीँ गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के अध्यक्ष विनय तमांग ने कहा कि पहाड़ के लोगों की भावनाओं से खेलना ही भाजपा और उनके समर्थक नेताओं का काम रह गया है। पृथक गोरखालैंड पर कोई कदम ना पहले उठाया गया है, ना अब उठाया जाएगा। 

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